संत देंगे 'नारी रक्षा' की दीक्षा
इस बार के कुंभमेले में अखाड़ों में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ पर आधारित झांकी लगाई जाएगी। अखाड़ों की पेशवाई में भी महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलेगा।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' मुहिम की अलख कुंभनगरी प्रयाग में जगेगी। वह भी दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन कुंभ मेला में। संगम तीरे धूनी रमाने वाले संत-महात्मा धर्म-अध्यात्म के साथ श्रद्धालुओं को नारी रक्षा की दीक्षा देंगे। पेशवाई में नारी सशक्तीकरण की झलक भी नजर आएगी।
पेशवाई का प्रतिनिधित्व करते हुए महिला महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर व संन्यासिनी आगे चलेंगी, वहीं जूना व निरंजनी अखाड़ा में 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' पर आधारित झांकियां सजेंगी। इसमें राजनीति, सैन्य, चिकित्सा, शिक्षा, कानून व साहित्य के फलक में अहम पहचान बनाने वाली महिलाओं के चित्र रहेंगे। साथ ही सामाजिक कुरीतियों से लड़ने वाली महिलाओं की सफलता की गाथा व सफर का सचित्र वर्णन किया जाएगा। यही नहीं संत-महात्मा प्रवचन में नारी की रक्षा का संदेश देंगे। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि लड़कियों की संख्या में गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हैं। कहते हैं नारी की रक्षा से ही सृष्टि बचेगी। यही कारण है कि हमारे धर्म ग्रंथों में नारी को देवी व शक्ति स्वरूपा बताते हुए उनके पूजन का विधान है। कुंभ में यही शिक्षा श्रद्धालुओं को दी जाएगी, इसके लिए निरंजनी अखाड़ा में झांकी सजाई जाएगी। कुछ ऐसा ही मत जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि का है। वह कहते हैं कि नारी उत्पीड़न, भ्रूणहत्या, दुराचार जैसी घटनाएं सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति को कलंकित कर रही हैं। ऐसी कुरीतियों के खिलाफ हमारी मुहिम चल रही है, प्रयाग कुंभ में उसे व्यापकता प्रदान की जाएगी।
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बखानी जाएगी इनकी महिमा
जूना व निरंजनी अखाड़ा में अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालीं 51 महिलाओं का सचित्र वर्णन होगा। इसमें माता सीता, गार्गी, अपाला, घोषा की विद्वता, सरोजनी नायडू, रानी लक्ष्मीबाई, इंदिरा गांधी, किरन बेदी, इंदिरा नुई, अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स, महीयसी महादेवी वर्मा आदि के नाम शामिल हैं। इनके जरिए लोगों को नारी का सम्मान करने को प्रेरित किया जाएगा।
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भ्रूणहत्या के खिलाफ संकल्प
भ्रूणहत्या से लोगों को दूर करने के लिए भी कुंभ में विशेष प्रयास होगा। संत-महात्मा प्रवचन में भ्रूणहत्या को धार्मिक व सामाजिक अभिशाप बताते हुए उससे दूर रहने के लिए लोगों को संकल्प दिलाया जाएगा। संतों का मत है कि धर्मनगरी में ऐसा संकल्प दिलाने से जनमानस पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा और वह खुद को भ्रूणहत्या जैसे अधर्म पूर्ण कार्य से खुद को दूर रखेंगे जिससे बेटियों की सुरक्षा हो सकेगी।