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रोजी-रोटी की तलाश में लौट रहे प्रतापगढ़ के परदेशियों से रोडवेज भी खुश है, जानें इसका राज

प्रतापगढ़ के प्रवासी कामगार रोडवेज बसों से भी काम-धंधे की तलाश में रवाना हो रहे हैं। रोडवेज अतिरिक्‍त बसें भी चला रहा है। इससे परिवहन निगम को अच्‍छी आय हो रही है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 01:19 PM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 01:19 PM (IST)
रोजी-रोटी की तलाश में लौट रहे प्रतापगढ़ के परदेशियों से रोडवेज भी खुश है, जानें इसका राज
रोजी-रोटी की तलाश में लौट रहे प्रतापगढ़ के परदेशियों से रोडवेज भी खुश है, जानें इसका राज

प्रतापगढ़, जेएनएन। कोरोना वायरस महामारी से सभी प्रभावित हुए और प्रभावित हैं। कोरोना संक्रमण को रोकने के‍ लिए लॉकडाउन लगाया गया। लॉकडाउन लंबा चला, जिससे कल-कारखाने और उद्योग-धंधे बंद कर दिए गए। आ‍र्थिक स्थिति डांवाडोल हुई तो तमाम प्रवासी कामगार अपने घरों को वापस लौट आए। लॉकडाउन खत्‍म होने के बाद अनलॉक में सभी काम-धंधे भी शुरू हो गए। इधर काफी दिन अपने घरों में रहने के बाद इन प्रवासी कामगारों को अपनी रोजी-रोटी वाले स्‍थान की याद आई तो वह लौटने लगे हैं। उनके लौटने से परिवहन विभाग भी खुश नजर आ रहा है। परिवहन निगम ने बसों की संख्या बढ़ाई है और उसकी आय में भी इजाफा हुआ है।

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धीरे-धीरे महानगरों की ओर चल पड़े हैं कामगार

पिछले दिनों सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई तो प्रतापगढ़ में करीब 45000 परदेसी आए। इनमें से करीब 20 हजार प्रवासी कामगारों को तो मनरेगा का रोजगार मिल गया लेकिन बाकी लोगों ने खेत में फावड़ा चलाना अपनी शान के खिलाफ समझा। इस वजह से उनको कोई रोजगार नहीं मिला। पूंजी न होने और ग्राहक कम होने से वह नई दुकान खोलने की भी हिम्मत नहीं जुटा सके। ऐसे में अब वह अनलॉक-4 की व्यवस्था लागू होने के बाद धीरे धीरे महानगरों की ओर चल पड़े हैं।

रोडवेज बसों का भी किया जा रहा संचालन

सूरत, दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद आदि जगह जाने वाले यात्री प्रतापगढ़ से साइबर कैफे के जरिए प्रयागराज से चलने वाली ट्रेनों में टिकट बुक करा रहे हैं। वहीं ट्रेनें पर्याप्‍त संख्‍या में संचालित होने के कारण प्रवासी कामगार रोडवेज बसों से भी अपने गंतव्‍य की ओर रवाना हो रहे हैं। बसें प्रतापगढ़ बस स्टेशन से दिल्ली के लिए चलाई गई हैं। लोगों को उम्मीद है कि धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौटेगी और हुए नुकसान की भरपाई कर के परिवार को फिर से उसी प्रकार की खुशियां दे सकेंगे।

खर्च बढ़ा तो रोजी-रोटी की बढ़ी चिंता

कुंडा के संजय यादव पट्टी के प्रवीण कुमार बड़वारा के शिव कुमार रानीगंज के राधेश्याम सांगीपुर के नत्थू लाल जैसे प्रवासियों ने मन की बात भी कही। उनका कहना है कि घर पर बैठकर कुछ नहीं होने वाला है। खर्च बढ़ गया है कि बिना बाहर कमाए अब काम नहीं चलने वाला है। इसलिए हम लोग पूरी सावधानी के साथ कोरोना वायरस से बचते हुए घर, परिवार के लिए रोजी-रोटी का इंतजाम करने के लिए जाने को मजबूर हैं। फैक्ट्री से तो बुलावा नहीं आया है लेकिन जाने पर उम्मीद है कि काम कुछ ना कुछ जरूर मिल जाएगा।


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