इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में नए सत्र से पंडित दीनदयाल पर किया जाएगा शोध
नए शैक्षणिक सत्र से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सामाजिक सांस्कृतिक आर्थिक राजनीतिक व कृषि संबंधी चिंतन व एकात्म मानववाद दर्शन पर शोध होगा। विश्वविद्यालय ने विज्ञापन जारी कर इस पीठ के संचालन के लिए समाज विज्ञान के सेवानिवृत्त और कार्यरत प्रोफेसर के अलावा अन्य पदों के लिए आवेदन मांगे हैं।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में नए शैक्षणिक सत्र से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक व कृषि संबंधी चिंतन व एकात्म मानववाद दर्शन पर शोध होगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने विज्ञापन जारी कर इस पीठ के संचालन के लिए समाज विज्ञान के सेवानिवृत्त और कार्यरत प्रोफेसर के अलावा अन्य पदों के लिए आवेदन मांगे हैं।
प्रधानमंत्री की तरफ से केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दी थी सौगात
आवेदन की अंतिम तिथि चार जनवरी तय की गई है। भारत में ऐसे विचारक व दर्शनशास्त्री रहे हैं, जिन्होंने भारत को संपूर्ण विश्व में गौरव और सम्मान दिलाया। इसी श्रेणी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का भी नाम आता है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में आठ नवंबर को मुख्य अतिथि की हैसियत से केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पहुंचे थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से विश्वविद्यालय में पं. दीनदयाल के नाम से शोध पीठ स्थापित करने का ऐलान किया था। अब यह शोध पीठ अस्तित्व में आ गई है। रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ल की तरफ से जारी विज्ञापन के मुताबिक पांच साल के लिए स्थापित इस शोध पीठ के तहत शोध के अलावा पंडित दीनदयाल के व्यक्तित्व-कृतित्व पर विश्लेषणात्मक शोध गतिविधियों का आयोजन कराया जाएगा। साथ ही पंडित जी के विचारों, चिंतन, दर्शन को विभिन्न स्तरों पर शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल कराया जाएगा। उनके चिंतन व दर्शन का प्रचार-प्रसार कराने के साथ चिंतन व दर्शन की प्रासंगिकता पर प्रशिक्षण एवं लोक शिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन भी कराया जाएगा। लघु पुस्तिकाओं व लेखों को पुस्तक रूप में प्रकाशित करना भी इस शोध पीठ का कार्य होगा।
पीआरओ ने यह बताया
पंडित दीन दयाल उपाध्याय शोध पीठ मिलना विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है। इस पीठ के लिए विज्ञापन जारी किया जा चुका है। जिसकी अंतिम तिथि चार जनवरी है। अंतिम तिथि के बाद शीघ्र चयन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी ताकि चयनित प्रोफेसर पीठ से जुड़े शोध का कार्य शुरू कर सकें।
- डा. जया कपूर, पीआरओ