संत सम्मेलन में मंदिरों से सरकारी अधिग्रहण खत्म करने की बात उठी
गंगा में बढ़ता प्रदूषण, गोहत्या न रुकने, गोमांस का निर्यात बढऩे और मठ-मंदिरों का सरकारी अधिग्रहण होने पर संतों ने चिंता व्यक्त की।
इलाहाबाद (जेएनएन)। गंगा में बढ़ता प्रदूषण, गोहत्या न रुकने, गोमांस का निर्यात बढऩे और मठ-मंदिरों का सरकारी अधिग्रहण होने पर संतों ने चिंता व्यक्त की। संतों ने हर समस्या पर केंद्र सरकार से शीघ्र उचित कदम उठाने की मांग की। माघ मेला क्षेत्र में त्रिवेणी मार्ग स्थित जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती के शिविर में रविवार को आयोजित संत सम्मेलन में धार्मिक चुनौतियों पर विस्तार से मंथन हुआ।
यह प्रस्ताव हुआ पास
- गंगा-यमुना की निर्मलता के लिए इनमें बने बांध हटाए जाएं।
- जेल में बंद सजा पाए आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
- धर्मांतरण रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
- हर बोर्ड के स्कूलों में वैदिक शिक्षा अनिवार्य हो।
- देश के सभी बूचड़खानों का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद हो।
मठ-मंदिरों से सनातन परंपरा संरक्षित
मुख्य वक्ता स्वामी नरेंद्रानंद ने कहा कि मठ-मंदिरों से सनातन परंपरा व संस्कृति संरक्षित है, सरकार ने उसका अधिग्रहण करके अनुचित कार्य किया है। उन्होंने केंद्र सरकार से सारे मठ-मंदिरों को अधिग्रहण मुक्त करने की मांग की। कहा कि जीर्णशीर्ण मंदिर के जीर्णोद्धार, गोरक्षा, संस्कृत पठन-पाठन व चिकित्सा में खर्च करने के लिए संतों का बोर्ड बनाया जाए। गोहत्या व गोमांस निर्यात होने पर चिंता व्यक्त करते हुए गाय को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग की। इमामों के वेतन को तत्काल रोकने और मंदिरों के पुजारियों को प्रतिमाह 20 हजार रुपये वेतन देने की मांग उठी। यह भी कहा कि अंतरजातीय विवाह तत्काल खत्म करने तथा लड़की व लड़का के अभिभावकों की सहमति के बिना विवाह न करने की व्यवस्था बनाई जाए। दंडी संन्यासी प्रबंध समिति के अध्यक्ष स्वामी विमलदेव आश्रम व महामंत्री स्वामी ब्रह्माश्रम ने पाकिस्तान को शत्रु देश घोषित कर उससे सारे व्यापार बंद करने की मांग उठाई। टीकरमाफी आश्रम पीठाधीश्वर स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी ने केजी से एमए तक की पढ़ाई में नैतिक शिक्षा व संस्कृत की पढ़ाई अनिवार्य करने की मांग की। अध्यक्षता जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने की।