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मरीज को जिला अस्पताल रेफर करते हैं और मरीजो से धन उगाही भी, ये हाल है प्रयागराज में जसरा सीएचसी का

बेड हैं एक्सरे मशीन भी डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती व दवाओं की उपलब्धता भरपूर है। फिर भी लोगों को बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल या स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय जाना पड़ता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) जसरा के हालात भी इससे जुदा नहीं हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 07:00 AM (IST)
इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में न तो सर्जन और न सफाई कर्मी मगर दावा उच्च सुविधाओं का

प्रयागराज, जेएनएन। यह ग्रामीणों का दुर्भाग्य है कि उन्हें गांव-कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में समय पर इलाज नहीं मिल रहा। जबकि दावा उच्च सुविधाओं का है। बेड हैं, एक्सरे मशीन भी, डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती व दवाओं की उपलब्धता भरपूर है। फिर भी लोगों को बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल या स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय जाना पड़ता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) जसरा के हालात भी इससे जुदा नहीं हैं। अस्पताल में एक अदद सर्जन की नियुक्ति नहीं है और सफाई कार्य प्राइवेट तौर पर कराया जाता है। अस्पताल के हालात बता रहे हैं नईम अहमद।

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व्यवस्था पर निगाह नहीं रखते उच्चाधिकारी

जसरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का महत्व जिले के अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से ज्यादा है, क्योंकि 1990 में जब इसे पीएचसी से सीएचसी का दर्जा मिला था तो तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री कमलापति त्रिपाठी पहुंचे थे। इस महत्वपूर्ण सीएचसी की व्यवस्थाओं पर अब किसी की उच्चाधिकारी की निगाह नहीं है। मरीजों के आपरेशन और किसी दुर्घटना में घायल व्यक्ति की सर्जरी की यहां व्यवस्था ही नहीं है। प्राथमिक उपचार करके घायल व्यक्ति को शहर के लिए रेफर कर दिया जाता है। जबकि अस्पताल में दो महिला और पांच पुरुष डाक्टरों की नियुक्ति है।

मरीज से ऐंठ लिए रुपये

अस्पताल में प्रसव के लिए आइ महिला ललिता मिश्रा की मानें तो उससे एक महिला डाक्टर ने 5000 रुपये ले लिए। दवा भी बाहर से मंगवाई। जुबानी रूप से दावा किया कि अन्य मरीजों से भी पैसे लिए जाते हैं।

एक सफाई कर्मी तक नहीं

अस्पताल में सफाई प्राइवेट तौर पर कराई जाती है। करीब आठ साल हो गए, यहां सफाई कर्मी की स्थायी नियुक्ति नहीं हो सकी। अस्पताल को जैसे-तैसे साफ सुथरा रखने की कोशिश हो रही है। मरीजों और तीमारदारों की मानें तो बेड के आसपास सफाई करने के लिए प्राइवेट कर्मचारी को सुविधा शुल्क भी देना पड़ता है।

टीके पर रहा जोर

सीएचसी जसरा में कोविड वैक्सीन के टीके लगाने पर अधिक जोर है। दो महीने में यहां 24500 लोगों को टीके लगाए जा चुके हैं। अधिकांश स्टाफ टीकाकरण में लगे रहते हैं। हालांकि यहां मरीज भर्ती भी किए जा रहे हैं।

पीएचसी में अव्यवस्था

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत बारा, जारी और घूरपुर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी हैं। लेकिन वहां भी हालात बदतर हैं। कभी डाक्टर नहीं मिलते, कभी दवा देने वाले कर्मचारी नदारद रहते हैं। अस्पताल समय पर खुल जाए ऐसा कभी कबार ही होता है।

ऐसी व्यवस्था कहीं और नहीं

जितनी अच्छी व्यवस्था इस सीएचसी में है कहीं और नहीं। यहां मेडिकल कालेज का ग्रामीण हेल्प प्रशिक्षण केंद्र भी है। आने वाले मरीजों का त्वरित उपचार किया जाता है और गर्भधात्री का प्रसव भी कराया जाता है। हां, सर्जन नहीं हैं। कोई महिला अगर डाक्टर पर 5000 रुपये लेने का आरोप लगा रही है तो अक्सर मरीज और उनके तीमारदार किसी-किसी को अपनी खुशी से पेशगी दे देते हैं। यदि किसी पर रुपये देने का दबाव बनाने का लिखित आरोप हो तो कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों से संस्तुति करेंगे।

-डा. तरूण पाठक, अधीक्षक


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