प्रतापगढ़ में शिव और राम बरात निकालने को प्रशासन की गाइड लाइन का इंतजार
शासन ने कोरोना के कारण मेले पर रोक लगा रखी है। ऐसे में राम लीला समिति इस आदेश का पालन करते हुए केवल परंपरा निभाना चाहती है। रावण के पुतले के दहन की परंपरा न टूटने पाए किसी तरह भरत मिलाप भी हो जाए इसी पर मंथन है।
प्रतापगढ़, जेएनएन। कोरोना काल में इस बार दशहरा पर्व कैसे मनाया जाएगा यह अब तक तय नहीं हो पाया है। इस बारे में प्रशासन ने भी कुछ नहीं बताया है। मेले पर तो रोक है, पर शहर में श्रीराम लीला समिति द्वारा 10 दिन तक निकाली जाने वाली शोभायात्रा का क्या होगा, यह भी तय नहीं हो पा है जबकि अब आयोजन में महज दो सप्ताह बाकी हैं।
पंरपरा निभाने की है चाहत
शहर के रामलीला मैदान में अब तक दशहरे पर बड़ा मेला लगता रहा है। इस बार शासन ने कोरोना के कारण मेले पर रोक लगा रखी है। ऐसे में राम लीला समिति इस आदेश का पालन करते हुए केवल परंपरा निभाना चाहती है। रावण के पुतले के दहन की परंपरा न टूटने पाए, किसी तरह भरत मिलाप भी हो जाए इसी पर मंथन है। समिति ने प्रशासन को अपना विस्तृत कार्यक्रम पत्र के जरिए देकर अनुमति व गाइड लाइन मांगी है। इस बारे में अब तक प्रशासन ने समिति को कुछ नहीं बताया है। संयोजक दिनेश सिंह दिन्नू का कहना है कि समिति अपनी तैयारी में है। प्रशासन और समिति के बीच जिस पर सहमति बनेगी उसी के अनुसार कार्य किया जाएगा।
ऐसी है कार्यक्रमों की रूपरेखा
नगर के गोपाल मंदिर से 17 अक्टूबर को शिव बरात निकालने का प्रस्ताव है। इसके बाद 18 को सीता उत्पत्ति, मुनि आगमन व ताड़का वध, 20 को फुलवारी लीला व धनुष यज्ञ, 21 को राम बरात राम-सीता जयमाल, 22 को कैकेयी कोपभवन का मंचन होगा। इसके बाद 23 को राम वनवास व खरदूषण वध, 24 को कुंभकरण वध व मेघनाद वध, 25 को दशहरा पर राम रावण युद्ध के बाद रावण का वध, 26 अक्टूबर को विभीषण को लंका का राजा बनाने, 27 की रात से लेकर 28 की भोर तक भरत मिलाप और राम जी को राजगद्दी का मंचन तय किया गया है। एडीएम शत्रोहन वैश्य का कहना है कि विचार विमर्श चल रहा है। जल्दी ही कुछ बताया जाएगा।