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बेल्हा के इतिहास में छा गई रमचंदी और शराबबंदी की जुगलबंदी

प्रतापगढ़ में जगदीश मातनहेलिया मेमोरियल ट्रस्ट के लोकार्पण अवसर पर पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने अपने चुनावी क्षेत्र से जुड़े किस्से को सुनाकर दिया संदेश।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 07:00 AM (IST)
बेल्हा के इतिहास में छा गई रमचंदी और शराबबंदी की जुगलबंदी
बेल्हा के इतिहास में छा गई रमचंदी और शराबबंदी की जुगलबंदी

प्रयागराज : बेल्हा के इतिहास में 12 दिसंबर की तारीख हमेशा-हमेशा के लिए रमचंदी और शराबबंदी के नाम पर दर्ज हो गई। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी की रमचंदी और उत्तरप्रदेश के राज्यपाल रामनाईक ने शराबबंदी को लेकर पुरानी यादों की दास्तान का ऐसा पिटारा खोला कि लोग दिल खोलकर हंसे। किसी कहानी मात्र का यह एक पहलू भर न था, बल्कि बेल्हा की धरती से समूचे समाज को संदेश भी था।

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अपने अध्यक्षीय भाषण में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने जगदीश मातनहेलिया मेमोरियल ट्रस्ट के लोकार्पण अवसर पर स्वस्थ समाज की परिकल्पना को साफ करने के लिए प्रयागराज के मुट्ठीगंज से जुड़ी एक कहानी का जिक्र किया, जो कभी उनका चुनाव क्षेत्र हुआ करता था। एक जमाना वह भी था जब मुट्ठीगंज के बड़े व्यापारी अपने ग्राहकों से रमचंदी वसूला करते थे। 10 रुपये के व्यापार पर पांच पैसा रमचंदी ली जाती थी। व्यापारी रमचंदी में अपना पैसा मिलाकर धर्मार्थ और सामाजिक कार्यो में लगाया करते थे। व्यंग्य भी किया कि अब युवा पीढ़ी रमचंदी क्या जाने।

ठीक इसी तरह जब संबोधन की बारी उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की आई तो उन्होंने भी अपने चुनाव क्षेत्र मुंबई स्थित बोरीवली से जुड़ा एक मजेदार किस्सा सुना डाला। वर्ष 1978 में उन्होंने पहली बार बोरीवली विधानसभा का चुनाव लड़ा और रिकार्ड मतों से विजयी हुए। 78 फीसद मत उनके खाते में जुड़े, मगर दो स्थान ऐसे थे, जहां से क्रमश: उन्हें तीन और दो ही मत मिले थे। उन्हें उत्सुकता हुई कि आखिर इन दो स्थानों पर ऐसा क्या हुआ।

उन्होंने कार्यकर्ताओं को इसके पीछे का कारण जानने को भेजा। पता चला कि जहां पर तीन मत पड़े थे, वह मछुआरों का इलाका था। जहां पर दो मत पड़े थे, वह मतदान केंद्र कुष्ठ रोगियों के क्षेत्र में आता था। ये दोनों शराब के व्यवसाय से जुड़े थे। उन्हें इस बात की आशंका थी कि अगर रामनाईक चुनाव जीत गए तो उनका शराब का व्यवसाय बंद हो जाएगा। उन्होंने अपनी इस कहानी के माध्यम से यह बताने की कोशिश की, किस तरह इंसान सामाजिक सरोकारों को लेकर आगे बढ़ सकता है। उन्होंने अपनी लिखी किताब चरैवेति चरैवेति का जिक्र भी किया, जिसके जरिए उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की है, जो व्यक्ति निरंतर चलता रहता है, भाग्य भी उसी का साथ देता है।


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