Move to Jagran APP

Bal Gangadhar Tilak की पत्रकारिता ने 20वीं सदी के प्रारंभ में स्वराज की भूख पैदा की थी : प्रो. कृपाशंकर

प्रोफेसर कृपाशंकर चौबे इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के सेंटर आफ मीडिया स्टडीज की ओर से बाल गंगाधर तिलक की पत्रकारिता एवं राष्ट्रबोध विषयक आनलाइन व्याख्यान में बोल रहे थे। उन्‍होंने तिलक की पत्रकारियों के विविध आयामों पर विचार रखा। वह पत्रकारिता को किसी के प्रभाव में नहीं आने देते थे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 09:04 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 09:04 AM (IST)
'बाल गंगाधर तिलक की पत्रकारिता एवं राष्ट्रबोध' विषयक आनलाइन व्याख्यान में विद्वानों ने विचार रखे।

प्रयागराज, जेएनएन। बाल गंगाधर तिलक की पत्रकारिता ने 20वीं सदी के प्रारंभ में स्वराज की भूख पैदा की और समूची सांस्कृतिक संवेदना को प्रभावित किया। वे तब भारत के आत्मनिर्भर होने की बात कर रहे थे और स्वराज को स्वदेशी से जोड़कर लोगों को जागरूक करने में जुटे थे। यह बातें महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के मानविकी एवं समाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता तथा पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर कृपा शंकर चौबे ने कही।

loksabha election banner

आनलाइन व्‍याख्‍यान में जुटे विद्वान

प्रोफेसर कृपाशंकर चौबे इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के सेंटर आफ मीडिया स्टडीज की ओर से 'बाल गंगाधर तिलक की पत्रकारिता एवं राष्ट्रबोध' विषयक आनलाइन व्याख्यान में बोल रहे थे। उन्‍होंने कहा बाल गंगाधर तिलक ने केसरी अखबार का संपादन करते हुए यह तय किया था कि अखबार में सामाजिक, राजनीतिक और व्यापारिक समाचारों के साथ देश के साधारण लोगों की दशा को प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा। अखबार के प्रथम पृष्ठ पर यह प्रतिज्ञा प्रकाशित की जाती थी कि हिंदुस्तानियों के हित को सुनिश्चित किया जाए। वह पत्रकारिता को किसी के प्रभाव में नहीं आने देते थे। सेंटर के कोर्स को-आर्डिनेटर डा. धनंजय चोपड़ा ने कहा मीडिया की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को पत्रकारिता के इतिहास की विरासत पर भविष्य की रूपरेखा तय करनी होगी।

भगवान राम पर विद्वानों ने रखी अपनी राय

इलाहाबाद केंद्रीय विवि के हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में शुक्रवार को विदेशी विद्वान व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत मास्को के विद्वान डाक्टर मैक्सिम बोरिसोविच डेमचेंको का व्याख्यान हुआ। मास्को स्टेट लिंग्विस्टिक यूनिवर्सिटी में कल्चरल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर डाक्‍टर मैक्सिम बोरिसोविच डेमचेंको ने 'रसिक परंपरा में राम काव्य' पर व्याख्यान देते हुए कहा भारत में रामकाव्य परंपरा में सामान्यतय: राम एक आदर्श पुरुष या भगवान हैं। हालांकि, वाल्मीकि ने रामायण में राम की लौकिक श्रृंगार-चेष्टाओं का भी वर्णन किया है। अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर पांडेय ने किया। स्वागत डा. सूर्यनारायण और धन्यवाद प्रो. संतोष भदौरिया तथा संचालन डा. कुमार वीरेंद्र ने किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.