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जल्द ही विदेश की राह पकड़ेंगे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर हांगलू, तलाशी नौकरी Prayagraj News

विवादों में घिरने के बाद से ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हांगलू ने विदेश में नौकरी तलाश ली थी। अमेरिका और कनाडा के विश्वविद्यालयों से उन्‍हें ऑफर भी मिला है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 08:55 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 03:10 PM (IST)
जल्द ही विदेश की राह पकड़ेंगे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर हांगलू, तलाशी नौकरी Prayagraj News
जल्द ही विदेश की राह पकड़ेंगे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर हांगलू, तलाशी नौकरी Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हांगलू ने विदेश के विश्वविद्यालय में काम तलाश लिया है। जल्द ही वह विदेश की राह पकड़ेगेे। प्रो. हांगलू को अमेरिका और कनाडा के विश्वविद्यालयों में नौकरी का ऑफर भी मिल चुका है।

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कश्मीर के अनंतनाग निवासी प्रो. हांगलू का एकेडमिक सफर

मूलरूप से कश्मीर के अनंतनाग स्थित हंगलालगंद गांव के रहने वाले प्रोफेसर रतन लाल हांगलू ने कश्मीर विश्वविद्यालय से स्नातक और परास्नातक की उपाधि हासिल की। इसके बाद दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से एमफिल, पीएचडी और पोस्ट डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने वर्ष 1980 में कश्मीर विश्वविद्यालय में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर अपने कॅरियर की शुरुआत की। इसके बाद जेएनयू के सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज में विजिटिंग फेलो भी रहे। इसके बाद मेघालय स्थित नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी और हैदराबाद विश्वविद्यालय में भी वह विभिन्न पदों पर रहे। वह 37 वर्ष की उम्र में प्रोफेसर बन गए। वहां उन्होंने डीएसडब्ल्यू और चीफ प्रॉक्टर जैसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों का दायित्व संभाला था। हैदराबाद विवि से ही वह पश्चिम बंगाल स्थित कल्याणी विश्वविद्यालय के कुलपति बने। यहां से वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय पहुंचे।

विवादों में घिरने के बाद ही प्रो. हांगलू ने विदेश में तलाश ली थी नौकरी

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इस बीच विवादों में घिरने के बाद अमेरिका समेत कई यूरोपियन देशों का दौरा किया। बीच में लंबी छुट्टी पर भी वह विदेशों में रहे। इस बीच उन्होंने नौकरी भी तलाश ली। अमेरिका और कनाडा के विश्वविद्यालय में प्रो. हांगलू की बात बन गई है। बताया जाता है कि जनवरी में उन्हें अमेरिका के एक संस्थान में ज्वाइन करना था। उनके नजदीकी लोगों मेें यह चर्चा पहले ही थी कि वह कभी भी इविवि से जा सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर के इतिहासकार भी हैं प्रो. हांगलू, प्रयागराज में आकर सीखी हिंदी

मध्यकाल से आधुनिक काल तक कश्मीर के कृषक समाज पर और भारतीय प्रवासियों पर किताब लिखने वाले प्रो. हांगलू को अंतरराष्ट्रीय स्तर के इतिहासकार का भी दर्जा मिला है। इसके अलावा कश्मीर मामले के विशेषज्ञ भी हैं। उनकी कश्मीरी, अंग्रेजी और उर्दू पर बेहतर पकड़ है। उन्हें ङ्क्षहदी नहीं आती थी। प्रयागराज पहुंचने के बाद उन्होंने हिंदी सीखी।

बोले प्रो. हांगलू

इविवि के पूर्व कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू कहते हैं कि अमेरिका और कनाडा के संस्थान से जॉब का ऑफर मिला है। जल्द ही इस पर कोई निर्णय लेंगे। फिलहाल अभी कुछ दिन विदेश नहीं जाना होगा।


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