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आयुष्मान भारत योजना में निजी अस्‍पताल ने ऐसे किया खेल Prayagraj News

उन्हें आइसीयू वार्ड में दस मिनट के लिए सिर्फ फोटो खींचने के लिए ले जाया जाता था। इतना ही नहीं इलाज पूरा होने के पहले ही उन्हें अस्पताल से बाहर कर दिया गया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 02:10 PM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 02:10 PM (IST)
आयुष्मान भारत योजना में निजी अस्‍पताल ने ऐसे किया खेल  Prayagraj News
आयुष्मान भारत योजना में निजी अस्‍पताल ने ऐसे किया खेल Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी योजना 'आयुष्मान भारतÓ की हकीकत जाननी हो तो मिलिए पीडि़त रत्नाकर गुप्ता से। इस योजना का लाभार्थी होने के बावजूद अस्पताल में इनके साथ किस तरह का खेल किया गया, यह जानकार आप भी चौंक जाएंगे। इलाज के लिए इन्हें एक जनरल वार्ड में भर्ती किया गया लेकिन योजना के तहत भुगतान आइसीयू वार्ड का लिया गया। उन्हें आइसीयू वार्ड में दस मिनट के लिए सिर्फ फोटो खींचने के लिए ले जाया जाता था। इतना ही नहीं इलाज पूरा होने के पहले ही उन्हें अस्पताल से बाहर कर दिया गया। अब वह इलाज के लिए भटक रहे हैं।

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आइसीयू में भर्ती दिखाकर रखा जनरल वार्ड में

शहर के चकिया निवासी रत्नाकर गुप्ता (58) को सात अक्टूबर की रात में पैरालाइसिस का अटैक हुआ। उन्हें पहले एसआरएन ले जाया गया लेकिन एमआरआइ के लिए फरवरी का समय दिया गया। ऐसे में उन्हें झलवा स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जब अस्पताल के लोगों को पता चला कि यह आयुष्मान भारत के मरीज हैं तो उन्हें जनरल वार्ड में भर्ती किया गया। यहीं से शुरू होता है खेल। अस्पतालकर्मियों ने लिखा-पढ़ी में रत्नाकर को आइसीयू में भर्ती दिखाकर उसका भुगतान लेना शुरू कर दिया जबकि हकीकत में जनरल वार्ड में भर्ती किया गया था। दिन में एक बार रत्नाकर को आइसीयू में लाया जाता था और वहां बेड पर लिटाकर नली आदि लगाई जाती थी। एक कर्मचारी विधिवत फोटो खींचता और फिर रत्नाकर को जनरल वार्ड में पहुंचा दिया जाता था। यह खेल पांच दिन तक चलता रहा। डॉक्टर ने एमआरआइ कराने के लिए लिखा तो उससे 20 हजार रुपये जमा करने को कहा गया। हद तो तब हो गई जब मरीज ने रुपये देने में असमर्थता जताई तो उसे अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया।

डिस्चार्ज में किया गया खेल

पीडि़त रत्नाकर गुप्ता ने बताया कि चार नवंबर को उन्हें अस्पताल से निकाल दिया गया और कागज पर हस्ताक्षर करा लिया गया। डिस्चार्ज की रसीद भी नहीं दी गई। बताया कि मेरे मोबाइल पर आयुष्मान भारत योजना की ओर से डिस्चार्ज होने का मैसेज नौ नवंबर को आया तो पहले मैं चौक गया कि मुझे तो चार को ही डिस्चार्ज कर दिया गया था। मैसेज में यह भी साफ लिखा था कि उसका इलाज आइसीयू वार्ड में किया गया जबकि इलाज तो जनरल वार्ड में किया गया। इस तरह के खेल अब सामने आ रहे हैं।

इसलिए प्रतिदिन खींची जाती थी फोटो

जो अस्पताल आयुष्मान भारत योजना में चयनित हैं वह मरीजों को जनरल वार्ड में भर्ती करके रिपोर्ट देनी थी कि मरीज का इलाज आइसीयू या वेंटीलेटर पर हुआ। इससे अस्पताल को अधिक रुपये का भुगतान हो जाता था। इसलिए यह व्यवस्था कर दी गई कि मरीज का इलाज किस वार्ड में चल रहा है इसकी फोटो प्रतिदिन की देनी होगी। यही कारण है कि रत्नाकर को प्रतिदिन फोटो खींचने के लिए आइसीयू में ले जाया जाता था।

नोडल अधिकारी बोले

 आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी डॉ. राहुल सिंह का कहना है कि यदि अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी के साथ इस तरह का बर्ताव किया गया है तो यह गंभीर मामला है। मैं इस संबंध में जानकारी प्राप्त करता हूं। इस पर कार्रवाई तय है।


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