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कौशांबी जेल में कैदी की बिगड़ी हालत, अस्पताल में भर्ती

कौशांबी के जिला जेल में कैदी की तबीयत खराब हुई तो उसे जेल अस्‍पताल ले जाया गया। वहां डॉक्‍टर के मौजूद न होने पर जिला अस्‍पताल में भर्ती कराया गया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 07:32 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 07:32 PM (IST)
कौशांबी जेल में कैदी की बिगड़ी हालत, अस्पताल में भर्ती
कौशांबी जेल में कैदी की बिगड़ी हालत, अस्पताल में भर्ती

प्रयागराज : दहेज हत्या के मामले में सजा भुगत रहे एक कैदी की कौशांबी के जिला कारागार में शनिवार की सुबह अचानक हालत बिगड़ गई। उसे बंदीरक्षकों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं जेल में डॉक्टर के न रहने के कारण अधीक्षक बीएस मुकुंद ने सीएमओ को पत्र भी भेजा है।

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 जिला जेल में बंदियों व कैदियों के इलाज के लिए अस्पताल भी बना हुआ है। यहां समय-समय पर दो डाक्टरों की ड्यूटी लगाई जाती है। अधिकांश डॉक्टर आए दिन जिला जेल नहीं आते। इससे मरीजों के स्वास्थ्य परीक्षण में काफी दिक्कत होती है। मजबूरन जिला अस्पताल का सहारा लेना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला शनिवार को सामने आया। कौशांबी थाना क्षेत्र के लक्ष्मणापुर निवासी हरिश्चंद्र दहेज हत्या के मामले में 10 वर्ष की सजा जिला जेल में भुगत रहा है। अचानक उसके सीने में तेज दर्द होने लगा और वह गिरकर तड़पने लगा। जानकारी होने पर जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया।

 आरोप है कि उसे जेल के अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन ड्यूटी पर होने के बावजूद डॉक्टर गैर हाजिर रहे। हरिश्चंद्र की हालत बिगड़ती देख आनन-फानन में आला अफसरों की अनुमति लेकर उसे जेल अधीक्षक बीएस मुकुंद ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया। वहां उसे फिलहाल राहत है। उधर डॉ. असलम की गैर हाजिरी को देखते हुए जेल अधीक्षक ने नाराजगी जाहिर की और मुख्य चिकित्साधिकारी को पत्र लिखा है।

वर्ष 2017 में हो चुकी है आठ बंदियों की मौत

जिला जेल में अस्पताल होने के बावजूद डाक्टरों की नामौजूदगी कोई पहला मामला नहीं है। अक्सर यह प्रकरण सामने आता रहा है। डाक्टरों की लापरवाही और गैर हाजिर के चलते जेल प्रशासन की परेशानियां बढ़ जाती है। यदि जेल में हुई मौत के आंकड़ों का जिक्र करें तो वर्ष 2017 में आठ बंदियों की मौत हो चुकी है। ज्यादातर मामलों में डाक्टरों की नामौजूद व लापरवाही सामने आई है। इसे देखते हुए जेल अधीक्षक बीएस मुकुंद ने स्वास्थ्य विभाग के अलावा जिले के आला अफसरों को पत्र भेजना शुरू किया तो हड़कंप मच गया। जेल के अस्पताल में तीन डाक्टरों की ड्यूटी लगा दी गई। वर्ष 2018 में महज एक महिला बंदी की ही मौत हुई, जो कैंसर पीडि़त थी। इधर कुछ महीने से डाक्टरों की लापरवाही फिर से बढ़ गई है। आए दिन चिकित्सक जिला जेल से नदारद रहते हैं।

क्या कहते हैं जेल अधीक्षक

अधीक्षक बीएस मुकुंद ने बताया कि डॉ. असलम अक्सर गैर हाजिर रहते हैं। सजायाफ्ता हरिश्चंद्र की हालत बिगडऩे पर डॉक्टर की नामौजूदगी के चलते सीएमओ को पत्र भेजा गया है।


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