पुआल को मिट्टी में दबाने से बढ़ जाती है उर्वरा शक्ति
खरीफ की मुख्य फसल धान की मशीन से कटाई के बाद बचे फसल अवशेष को जलाएं नही बल्कि उसे मिटटी में दबा दिया जाए। पुआल को सड़ाकर कार्बनिक खाद बनाकर खेत में डालने से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। यह सलाह खंड विकास अधिकारी फूलपुर सुभाष चन्द्र त्रिपाठी ने किसानों को दी।
फूलपुर: खरीफ की मुख्य फसल धान की मशीन से कटाई के बाद बचे फसल अवशेष को जलाएं नही बल्कि उसे मिटटी में दबा दिया जाए। पुआल को सड़ाकर कार्बनिक खाद बनाकर खेत में डालने से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। यह सलाह खंड विकास अधिकारी फूलपुर सुभाष चन्द्र त्रिपाठी ने किसानों को दी।
उन्होंने बताया कि धान की कटाई के बाद खेत में पुआल जलाने से पर्यावरण तो प्रदूषित होता ही है साथ ही भूमि के मित्र कीट जैसे केचुआ आदि भी जल जाते हैं। जिससे किसानो को बहुत ही नुकसान होता है। खेत में फसल अवशेष जलाने से मिटटी में मौजूद मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं इसके साथ ही भूमि के उपरी सतह पर उपलब्ध उर्वरा शक्ति भी काफी कम हो जाती है। इससे अगली फसल में किसानों को ज्यादा मात्रा में उर्वरक का प्रयोग और सिचाई करनी पड़ती है। जिससे फसल की उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है। ऐसे में पुआल को मिटटी में सड़ाकर कार्बनिक खाद का काम करती है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ जाती है। उन्होने कहा कि फसल कटने के बाद पुआल को काटकर एक गडढे में भर दें इसके बाद उसमे गोबर का घोल गुड, यूरिया डाल दें। जिससे वह सड़कर कार्बनिक खाद मे तब्दील हो जाएगी जो रबी के सीजन की बुआई के लिये कार्बनिक खाद का काम करेंगी। इससे फसल उत्पादन में वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि खेत में फसल अवशेष जलाने पर दंड तथा जुर्माना दोनो का प्रावधान है। पुआल अथवा फसल अवशेष न जलाकर इससे बचे। ताकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बरकरार रहे।