दो महीने में माघ मेला की पूरी तैयारी करना है बड़ी चुनौती, Prayagraj news
चकर्ड प्लेट बिछाने हर सेक्टर में बिजली पहुंचाने के लिए खंभे गाडऩे और उपकेंद्र बनाने का नहीं शुरू हुआ है। इसके अलावा अंडरग्राउंड पानी की पाइप लाइन बिछाने के साथ ही जगह-जगह नल लगाने के काम का अब तक श्रीगणेश नहीं हुआ है।
प्रयागराज, जेएनएन। इस बार माघ मेला दो महीनों में बसाना प्रयागराज जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने मेला के लिए हामी तो भर दी है लेकिन कम समय में तैयारियां आसान नहीं मानी जा रही हैैं। कुल 534 हेक्टेयर में माघ मेला बसाने की योजना हैै। चार पांटून पुल भी बनाए जाएंगे। कोरोना काल में कितनी संस्थाओं को जमीन सुविधाएं दी जाएं, इसे लेकर मंथन चल रहा है। कल्पवासी और संतों के शिविर भी दूर दूर लगाए जाने हैैं, लिहाजा रार मचना तय है।
अक्तूबर में शुरू हो जाने पर भी पिछड़ता था काम
हर साल माघ मेला के लिए अक्टूबर तक सभी तरह के काम शुरू हो जाते थे। सबसे पहले पांटून पुलों का काम शुरू होता था। पुल को तैयार करने में दो महीने से अधिक का समय लगता है लेकिन इस बार अब तक एक भी पुल के लिए टेंडर नहीं हुआ है। जब पुल तैयार नहीं होगा तो गंगा के दोनों ओर मेला बसाना मुश्किल होगा। इसके अलावा चकर्ड प्लेट बिछाने, हर सेक्टर में बिजली पहुंचाने के लिए खंभे गाडऩे और उपकेंद्र बनाने का नहीं शुरू हुआ है। इसके अलावा अंडरग्राउंड पानी की पाइप लाइन बिछाने के साथ ही जगह-जगह नल लगाने के काम का अब तक श्रीगणेश नहीं हुआ है। यह कार्य हो तो कल्पवासियों, संतों और संस्थाओं के लिए तंबू लगे।
पांच महीने का काम दो माह में कैसे
हर साल इस काम में चार से पांच महीने का वक्त लगता था। लेकिन इस बार जिला प्रशासन के पास दो महीने ही बचे हैं। इसी में उन्हेें सभी तरह के इंतजाम करने हैं। अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को मेले को लेकर बैठक होगी। इस बैठक में लोक निर्माण विभाग, बिजली, जल निगम, सिंचाई, नगर निगम, पीडीए, गंगा प्रदूषण आदि विभाग अपनी-अपनी योजना बताएंगे। उसके बाद ही मेला बसाने का काम शुरू हो जाएगा।