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कैमरे को बनाया हथियार और कोरोना के प्रति लोगों को किया जागरूक, ये हैं प्रयागराज की छात्रा पूजा

कैमरे को अपना अस्त्र बनाने वाली प्रयागराज की छात्रा पूजा कुशवाहा ने पूरे कोरोना काल में मेधा नामक संस्था के साथ मिलकर लोगों को जागरूक किया। मास्क सैनिटाइजर जैसे जरूरी संसाधन भी उपलब्ध कराए। इस कार्य में उन्होंने अपने फोटोग्राफी कौशल का भी खूब प्रयोग किया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 07:30 AM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 07:50 AM (IST)
इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रोइट्री सोसाइटी ने सम्मानित पूजा कुशवाहा ने कोरोना काल में लोगों में जागरूकता फैलाई।

प्रयागराज, [अमलेंदु त्रिपाठी]। देवी मां का सप्तम स्वरूप है मां कालरात्रि। जननी, पालनकर्ता, परिश्रमी और दृढ़ता के स्वरूप के बाद परिवार की रक्षा के लिए साहस की मूर्ति बनकर सामने आने वाली स्त्रियों में मां का यही स्वरूप दिखता है। देश की सीमा हो या शहर-गांव की कानून व स्वास्थ्य व्यवस्था। नारी आज हर जगह अपराध और शत्रु के दमन में सक्षम और सजग है। मां कालरात्रि के इसी स्वरूप की झलक देखने को मिलती है इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के संघटक ईश्वर शरण पीजी कालेज में बीकाम तृतीय वर्ष की छात्रा और शिवकुटी निवासी पूजा कुशवाहा में।

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कोरोना काल में संस्‍था से मिलकर लोगों को किया जागरूक

कैमरे को अपना अस्त्र बनाने वाली पूजा का मानना है कि नारी अबला नहीं श्रद्धा, शक्ति और विश्वास का नाम है। उन्होंने पूरे कोरोना काल में मेधा नामक संस्था के साथ मिलकर लोगों को जागरूक किया। मास्क, सैनिटाइजर जैसे जरूरी संसाधन भी उपलब्ध कराए। इस कार्य में उन्होंने अपने फोटोग्राफी कौशल का भी खूब प्रयोग किया। क्या करने से कोरोना फैलेगा, इससे बचने के लिए क्या कदम उठाया जाएं, इन बातों को अपनी द्वारा खींची गई तस्वीरों और वीडियो के जरिए प्रचारित प्रसारित किया। उन्हें इंटरनेट मीडिया पर भी अपलोड किया। व्यक्तिगत रूप से लोगों के पास बैठकर चित्रों के जरिए जागरूकता फैलाई। महामारी से बचने के लिए लोगों को तरीका बताया। युवा व किशोर वर्ग के लोगों ने इसमें खास रुचि ली। इस अभियान के लिए उन्हें इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रोइट्री सोसाइटी की ओर से सम्मानित भी किया गया।

पांच वर्ष की उम्र में सिर से उठ गया था पिता का साया

मां-बाप की इकलौती संतान पूजा की उम्र महज पांच वर्ष थी, तभी पिता बालगोद कुशवाहा का साया सिर से उठ गया। मां का भी दूसरा विवाह हो गया। उनका पालन पोषण ननिहाल में हुआ। मामा राम बरन कुशवाहा ने उनकी जिम्मेदारी उठाई। वह इफको में कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी एक बेटी व बेटे के साथ पूजा को भी पाला पोषा। परिस्थितियों को समझते हुए पूजा पूरे लगन से पढ़ाई और करियर को संवारने में जुटी हैं। हाईस्कूल में 76 प्रतिशत और इंटरमीडिएट में 70 प्रतिशत अंक हासिल करने वाली यह मेधावी अपने कौशल को भी तराशने में जुटी है।

पूजा फोटोग्राफी, ग्राफिक्स डिजायनिंग में बनाना चाहती हैं करियर

पूजा बताती हैं कि उनकी खींची तस्वीरें पूल आफ इमोशन नामक कविता की किताब में प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने एक कंपनी के लिए प्रोडक्ट फोटोग्राफर के तौर पर भी कार्य किया है। डर्टी फाउंडेशन के लिए कुछ समय तक अलग अलग विषयों पर तस्वीरें खींच चुकी हैं। अब अपना ध्यान अब ग्राफिक्स डिजायनिंग के क्षेत्र में लगा रही हैं। कुछ कंपनियों के लिए लोगो डिजायनिंग के साथ किताबों के कवर पेज भी डिजाइन कर रही हैं। वास्तव में पूजा नई पीढ़ी के लिए आदर्श हैं। वह खुद को अलग अलग तकनीक से परिचित करा रही हैं। इसके लिए किसी कोचिंग या संस्थान की मदद न लेकर स्वाध्याय का सहारा लेती हैं।


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