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Prayagraj Ramlila: मनोहारी हो उठे रामलीलाओं के मंचन, हर तरफ गूंज उठे जय श्रीराम के जयकारे

दशहरा पर्व पर हर तरफ रामलीलाओं के मंचन मनोहारी हो उठे हैं। प्रमुख कमेटियों ने धार्मिक आयोजन से ऐसा माहौल बना दिया है कि जनसमूह राममय हो गए हैं। रोज नए-नए प्रसंग पर मंचन हो रहा है। बुधवार को ऋषि मिलन राम के द्वारा राक्षस वध की लीला हुई

By JagranEdited By: Ankur TripathiPublished: Thu, 29 Sep 2022 09:31 AM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 09:31 AM (IST)
Prayagraj Ramlila: मनोहारी हो उठे रामलीलाओं के मंचन, हर तरफ गूंज उठे जय श्रीराम के जयकारे
Prayagraj Ramlila दशहरा पर्व पर हर तरफ रामलीलाओं के मंचन मनोहारी हो उठे हैं।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। Prayagraj Ramlila: दशहरा पर्व पर हर तरफ रामलीलाओं के मंचन मनोहारी हो उठे हैं। प्रमुख कमेटियों ने धार्मिक आयोजन से ऐसा माहौल बना दिया है कि जनसमूह राममय हो गए हैं। रोज नए-नए प्रसंग पर मंचन हो रहा है। बुधवार को ऋषि मिलन, राम के द्वारा राक्षस वध की लीला हुई। कहीं-कहीं सीता स्वयंवर के प्रसंग पर मंचन हुआ।

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दारागंज, पथरचट्टी, कटरा और बाघम्बरी क्षेत्र की रामलीला में उमड़ी भीड़

दारागंज रामलीला कमेटी ने ऋषि मिलन, कबंध राक्षस के वध की लीला कराई। चित्रकूट में ऋषियों से प्रभु श्रीराम का मिलन होता है। अगस्त्य मुनि के द्वारा राम-लक्ष्मण को मंत्र समेत दिव्यास्त्र प्राप्त होता है। उस क्षेत्र में कबंध राक्षस ऋषि मुनियों पर कहर ढाते हैं तो राम उस राक्षस का वध करते हैं। गुरुवार को खर दूषण वध, सूर्पणखा छेदन और पंचवटी प्रस्थान की लीला होगी।

राम सीय सिर सेंदुर देही- सोभा कहि न जाति बिधि केहीं

श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी ने सीता-राम विवाह की लीला कराई। Óराम सीय सिर सेंदुर देही- सोभा कहि न जाति बिधि केहींÓ के प्रसंग को मंच पर दिखाया गया कि अयोध्या से बारात ले कर महाराज दशरथ जनकपुर में प्रवेश करते हैं। मिथिलापति जनक ने अवध नरेश का स्वागत किया। विवाह मंडप में चारों भाई राम , भरत , लक्ष्मण और शत्रुघ्न पहुंचते हैं। वेदी पर वैदिक मंत्रोच्चार करते विद्वान पुरोहित, कुलगुरु वशिष्ठ और मिथिला के कुलगुरु शतानंद ने वैवाहिक प्रक्रिया शुरू कराई। कुल की रीति के अनुसार विवाह पीठ पर बैठे राम ने सीता की मांग में सिंदूर भरा। जय श्रीराम के जयकारे गूंज उठे।

जनकपुर में भी छाई अपरंपार खुशी

कटरा रामलीला कमेटी ने सीता की विदाई, राम को अयोध्या का राजा घोषित किए जाने के प्रसंग पर लीला का मंचन कराया। राम लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का विवाह होने पर जनकपुर शहनाई और ढोल नगाड़े बजने से गूंज रहा था। चारों कन्याओं को माता सुनैना ने ससुराल में संस्कार से रहने की तौर तरीके बताए। अयोध्या आने पर चारों ओर खुशी व्याप्त रही। दरबारियों की राय मत्रंणा के बाद राजा दशरथ ने बड़े राम को अयोध्या का राजा घोषित कर दिया।

बाघम्बरी क्षेत्र की रामलीला में मारीचि सुबाहु वध, अहिल्या उद्धार, गंगावतरण के प्रसंग का मंचन हुआ। मारीचि सुबाहु वध के प्रसंग में भगवान राम ने कहा, गुरुदेव आप यज्ञ प्रारम्भ करें, मैं यज्ञ की रक्षा करता हूं। तभी वहां मारीचि सुबाहु समेत राक्षस आ धमके। राम के साथ उनका भयंकर युद्ध हुआ और भगवान ने उन दोनों का वध किया।


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