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कंप्‍यूटर में डिप्‍लोमा कर बना एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर रकम वाले गिरोह का सरगना Prayagraj News

डिवाइस से कार्ड को स्कैन कर लेता था जिससे उसका सारा डाटा मिल जाता था। वहां से अपने ठिकाने पर जाकर कार्ड को क्लोन करके कम्प्यूटर डिवाइस की मदद से खाते से रुपये झटक लेते थे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 08:31 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 08:31 PM (IST)
कंप्‍यूटर में डिप्‍लोमा कर बना एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर रकम वाले गिरोह का सरगना Prayagraj News
कंप्‍यूटर में डिप्‍लोमा कर बना एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर रकम वाले गिरोह का सरगना Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। पडोसी जनपद प्रतापगढ़ में एटीएम कार्ड की क्लोनिंग करके लोगों के खातों से रुपये उड़ाने वाला अंतरप्रांतीय गिरोह पकड़ा गया है। गिरोह का मुखिया नेमचंद्र सरोज बढऩी जेठवारा का है। उसके साथ पकड़े गए चार शातिरों के कब्जे से एक कार्ड क्‍लोनिंग मशीन, एक एमएसआर मशीन, राफिड डिवाइस, लैपटाप, 38 एटीएम कार्ड, एक कार, स्कूटी, तमंचा आदि पुलिस ने बरामद किया है।

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गिरोह का एक शातिर भाग निकला

पूरे गिरोह के पर्दाफाश के लिए एसपी अभिषेक सिंह ने स्वाट टीम इंचार्ज अजय सिंह, कोतवाल नगर सुरेंद्र नाथ को लगाया था। मार्गदर्शन के लिए एएसपी सुरेंद्र द्विवेदी व सीओ सिटी अभय कुमार पांडेय भी थे। पुलिस टीम ने सर्विलांस सहित अन्य तरीकों से काम करना शुरू किया। सोमवार की शाम पुलिस ने बड़ा पुरवा नहर पुलिया, थाना कोतवाली नगर के पास कार व स्कूटी के साथ चार शातिरों को पकड़ लिया। एक शातिर भाग निकला। एसपी ने मंगलवार को पुलिस लाइन में इस बारे में जानकारी दी। बताया कि एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार करके यह गिरोह कई प्रदेशों में लोगों को चूना लगा रहा था। पकड़े गए शातिरों में नेम चंद्र सरोज ग्राम बढऩी थाना जेठवारा मास्टर माइंड व गिरोह का मुखिया है। इसके साथ ही कपिल वर्मा भी उसी के गांव का है। तीसरा है राजेंद्र सिंह उर्फ कल्लू डान पुत्र राम शिरोमणि सिंह सिटकहा मोहनगंज व चौथा है कृष्णावीर सिंह यादव उर्फ कृष्णा पुत्र दिनेश यादव सरियापुर जेठवारा। मौके से अंकित सिंह उर्फ शिवेंद्र पुत्र रामकुमार सिंह नौबस्ता जेठवारा फरार हो गया।

सेमी ब्लाक करते थे कार्ड

एटीएम में ये शातिर मदद के बहाने खाताधारक का कार्ड सेमी ब्लाक कर देते थे। इसके बाद इसी गिरोह का दूसरा शातिर आकर उस कार्ड को चलाकर रुपये निकालकर कार्डधारक को दे देता था और इस दौरान वह कार्ड को बदल लेता था और पासवर्ड भी जान लेता था। यही नहीं हाथ में छिपी डिवाइस से कार्ड को स्कैन कर लेता था, जिससे उसका सारा डाटा मिल जाता था। वहां से अपने ठिकाने पर जाकर कार्ड को क्लोन करके कम्प्यूटर डिवाइस की मदद से खाते से रुपये झटक लेते थे।

कम्प्यूटर डिप्लोमा धारक है मास्टर माइंड

पुलिस यह जानकर हैरान रह गई कि शातिर कम्प्यूटर की पूरी जानकारी रखते हैं। नेमचंद्र तो कम्प्यूटर एप्लीकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा धारक है। साफ्टवेयर कंपनी में मार्केटिंग का काम कर चुका है। यह गिरोह बिहार, महाराष्ट्र तक अब तक करीब 600 कार्ड बदलकर लाखों रुपये कमा चुका है।


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