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पीएम मोदी ने कहा, तप से तकनीक तक देखेगी पूरी दुनिया

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया तप से लेकर तकनीक तक देखेगी। संगम की रेती पर एक भारत श्रेष्‍ठ भारत की तस्‍वीर की झलक मिलेगी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 12:10 AM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 12:10 AM (IST)
पीएम मोदी ने कहा, तप से तकनीक तक देखेगी पूरी दुनिया

प्रयागराज : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पवित्र त्रिवेणी के दर्शन पूजन के बाद जनसभा में आए तो उनके भावों में भी अध्यात्म की सरिता प्रवाहित हो रही थी। प्रयागराज की महिमा को अलंकृत करते हुए कहा कि जब भी यहां आने का अवसर मिलता है, तो मन-मस्तिष्क में एक अलग ही ऊर्जा का संचार होता है। यहां के वातावरण और कण कण में ऋषियों और मनीषियों की दिव्यता का वास है, जिसका संचार यहां आने वाले हर यात्री को अनंतकाल से होता रहा है। इस बार अर्धकुंभ में तप से तकनीक तक दुनिया देखेगी। सेल्फी प्वाइंट खास आकर्षित करेगा।

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 प्रधानमंत्री बोले- प्रयाग के बारे में कहा गया है 'को कहि सकइ प्रयाग प्रभाऊ, कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ'। इसका मतलब भी समझाया कि 'पापों के समूहरूपी हाथी को मारने के लिए सिंहरूप प्रयागराज के प्रभाव और महात्म्य का वर्णन करना मुश्किल है। यह वह पवित्र तीर्थस्थल है जिसके दर्शन कर सुख के समुद्र रघुकुल श्रेष्ठ श्रीराम जी ने भी सुख पाया है।' कहा कि इस बार कोशिश है कि लोग तप, तकनीक और अध्यात्म की त्रिवेणी का अनुभव लेकर जाएं, लेकिन अर्धकुंभ और सेल्फी का संगम तक तक अधूरा रहेगा, जब तक कि त्रिवेणी स्वच्छ, निर्मल व अविरल न हो जाए। इस दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है।

 प्रधानमंत्री ने बताया कि प्रयागराज, काशी, कानपुर सहित गंगा के किनारे वाले जिलों में सीवेज के नालों को गंगा में गिरने से रोका जा रहा है। इसके लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत 24,500 करोड़ दिए गए हैं। इसमें 5000 करोड़ रुपये के 75 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। 150 पर काम चल रहा है। गंगा निर्मल होंगी, इस निश्चय के पीछे अधिकारियों के साथ गंगा के सेवकों का भी योगदान है। गंगा के प्रति जनभागीदारी, जिम्मेदारी ने हमारे प्रयास को बल दिया है।

 गंगा किनारे के गांव ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्त) हो चुके हैं। इसी कड़ी में संगम पर स्वच्छता प्रदर्शनी में आधुनिकता भी दिखेगी। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी में पेंट माय सिटी के तहत चित्रांकन से प्रयागराज का अद्भुत और अनुपम दर्शन हो रहा है। प्रयागराज के इसी भाव को देखते हुए देश की सांस्कृतिक विरासत से जुडऩे के लिए मैं सारी दुनिया को यहां आने का न्योता दे आया हूं। शनिवार को संगम में अरैल घाट पर 70 देशों का झंडा उनके राजनयिकों ने फहराकर अर्धकुंभ की मनोरम तैयारी देखी। यह प्रयास अर्धकुंभ को वैश्विक लोकप्रियता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।

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 प्रधानमंत्री ने यह जानकारी भी दी कि जिस समय अर्धकुंभ के लिए दुनिया भर से लोग यहां आएंगे तो काशी में अप्रवासी भारतीय सम्मेलन हो रहा होगा। उन्हें यहां लाने का भी प्रयास है। बोले, अर्धकुंभ में आने से दुनिया से जुडऩे, उनके संपर्क से करोड़ों विचारों का प्रवाह भारत को समृद्ध करेगा। कुंभ पर्व भारत, भारतीयता का प्रमाण है। यह भाषा, वेशभूषा और भिन्नता को खत्म कर जोड़ता है। यहां एक भारत-श्रेष्ठ भारत की तस्वीर दिखती है। यह देश की प्रतिष्ठा का भी सवाल है। हमें सुनिश्चित करना है कि दुनिया भर के लोग भारत की नई तस्वीर लेकर जाएं। भारत की पहचान ज्ञान के भंडार, भारतीय संस्कृति से है। इसे सिद्ध करने के लिए स्वामी विवेकानंद ने जीवन कुर्बान कर दिया। दुनिया के छात्र यहां मैनेजमेंट देखने आएंगे। मकसद है कि भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विरासत का प्रभाव बढ़े। 


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