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Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष 21 सितंबर से 6 अक्‍टूबर तक, इस बार षष्ठी तिथि का श्राद्ध दो दिन होगा

Pitru Paksha 2021 पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार पूर्णिमा तिथि 20 सितंबर की सुबह 5.01 बजे लग जाएगी। ऐसी स्थिति में पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध इसी दिन होगा। षष्ठी तिथि तिथि का श्राद्ध का संयोग दो दिन रहेगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 08:24 AM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 04:01 PM (IST)
Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष 21 सितंबर से 6 अक्‍टूबर तक, इस बार षष्ठी तिथि का श्राद्ध दो दिन होगा
पितृ पक्ष को आप भी तिथिवार जानें। ज्‍योतिषी बता रहे हैं कि 20 सितंबर को पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध होगा।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। हमारे पितर यानी पूर्वजों के प्रति समर्पण, कृतज्ञता व श्रद्धा व्यक्त करने का महापर्व पितृपक्ष 21 सितंबर को आरंभ होगा। पूर्वजों के निमित्त पिंडदान, तर्पण, पूजन व दान करने का सिलसिला छह अक्टूबर तक चलेगा। इस बार षष्ठी तिथि के श्राद्ध का संयोग दो दिन बन रहा है। सच्चे हृदय से किए गए दान, पूजन से पूर्वजों को तृप्ति मिलेगी। वहीं, वंशज उनका आशीर्वाद पाकर सुखी व संपन्न होंगे। पूर्णिमा से लेकर पितृ विसर्जन तक के श्राद्ध की तिथि इस खबर के माध्‍यम से आप जान सकते हैं।

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श्राद्ध का उपयुक्‍त समय सुबह 10 से दोपहर दो बजे तक : आचार्य विद्याकांत

पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि पूर्णिमा तिथि 20 सितंबर की सुबह 5.01 बजे लग जाएगी। ऐसी स्थिति में पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध सोमवार को होगा। वहीं, षष्ठी तिथि 26 सितंबर की सुबह 10.59 बजे से लगकर 27 सितंबर की दोपहर 1.03 बजे तक रहेगी। इससे उक्त तिथि का श्राद्ध का संयोग दो दिन रहेगा। आचार्य विद्याकांत ने बताया कि श्राद्ध करने का उपयुक्त समय सुबह 10 से दोपहर दो बजे तक रहता है। इसी कारण षष्ठी तिथि का श्राद्ध 26 व 27 सितंबर को किया जा सकेगा।

डा. वंदना ने बताया पितृपक्ष का महत्‍व

सनातन धर्म की मर्मज्ञ डा. वंदना द्विवेदी बताती हैं कि वर्ष में 15 दिन पितरों (पूर्वजों) के नाम रहता है। इसी कारण पितृपक्ष में सिर्फ पितर पूजे जाते हैं। पितृपक्ष में सबके पितर पृथ्वी लोक पर आते हैं। वंशजों के पिंडदान, तर्पण, हवन और दान करने से उन्हें तृप्ति मिलती है। पूर्वज अपने परिजनों के हाथों का ही तर्पण स्वीकार करते हैं। जो लोग पितरों के निमित्त श्राद्ध नहीं करते, उन्हें पितृ दोष लगता है। इससे जीवन में शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्ट आते हैं।

यह है पितृपक्ष की स्थिति

-20 सितंबर : पूर्णिमा श्राद्ध

-21 सितंबर : प्रतिपदा श्राद्ध

-22 सितंबर : द्वितीय श्राद्ध,

-23 सितंबर : तृतीया श्राद्ध

-24 सितंबर : चतुर्थी श्राद्ध

-25 सितंबर : पंचमी श्राद्ध

-26 सितंबर : षष्ठी का श्राद्ध

-27 सितंबर : षष्ठी का श्राद्ध

-28 सितंबर : सप्तमी

-29 सितंबर : अष्टमी श्राद्ध

-30 सितंबर : मातृनवमी श्राद्ध (महिलाओं का श्राद्ध होगा)

-एक अक्टूबर : दशमी श्राद्ध

-दो अक्टूबर : एकादशी श्राद्धपक्ष

-तीन अक्टूबर : द्वादशी श्राद्ध (संत-महात्मा)

-चार अक्टूबर : त्रयोदशी श्राद्ध

-पांच अक्टूबर : चतुर्दशी श्राद्ध (अस्त्र-शस्त्र व अकाल मृत्यु वालों का)

-छह अक्टूबर : अमावस्या श्राद्ध (जिनकी मृत्यु की तिथि नहीं पता ऐसे अज्ञात लोगों का श्राद्ध होगा) पितृ विसर्जन।


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