लोक निर्माण विभाग प्रयागराज के चीफ इंजीनियर के खिलाफ कार्रवाई के लिए दाखिल याचिका खारिज
हाई कोर्ट ने घोटाले के आरोपी लोक निर्माण विभाग प्रयागराज के चीफ इंजीनियर हिमांशु मित्तल के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सड़क निर्माण में करोड़ों रुपये के घोटाले के आरोपी लोक निर्माण विभाग प्रयागराज के चीफ इंजीनियर हिमांशु मित्तल के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। चीफ इंजीनियर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के दौरान उसे कौशांबी का अतिरिक्त चार्ज सौंपने की शिकायत पर कोर्ट ने कहा कि यह सरकार का अधिकार है कि वह किस कर्मचारी से कौन सा काम लेना चाहती है। कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी। आरोपी चीफ इंजीनियर के खिलाफ चार्जशीट पहले ही दाखिल हो चुकी है। विभागीय कार्रवाई प्रगति पर है।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने भाजपा कार्यकर्ता दिवाकरनाथ त्रिपाठी की जनहित याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता केके राय का कहना था कि चीफ इंजीनियर पर बरेली- बदायूं फोर लेन रोड बनाने में 120 करोड़ रुपये के घोटाले में आरोप पत्र दाखिल होने के बावजूद उसी पद पर बनाये रखा गया है। घोटाले के आरोपी चीफ इंजीनियर प्रयागराज लोक निर्माण विभाग में तैनात हैं। आरोपों की निष्पक्ष जांच के लिए पद से हटाया जाना जरूरी है।
याची का कहना था कि गंभीर आरोप के बावजूद न सिर्फ उनको प्रयागराज में नियुक्ति दी गई, बल्कि कौशांबी का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया गया है। वहीं, राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि आरोपी चीफ इंजीनियर के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है। उन्हें चार्जशीट भी दी गई है। कोर्ट ने कहा यह सरकार पर है कि वह किससे क्या काम लेना चाहती है। कोर्ट ने अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है।