शाही अंदाज में निकली पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी की पेशवाई, गवाह बने हजारों लोग
सैकड़ों नागा संन्यासियों की मौजूदगी में पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी की पेशवाई निकली। शाही अंदाज को देखकर हजारों लोगों ने साधु-संतों का नमन किया।
प्रयागराज : अद्भुत, अलौकिक, अविस्मरणीय...। करतब दिखाते नागा संन्यासी, भस्म उड़ाता डमरूवादकों का झुंड, पंजाब का भांगड़ा-गिद्दा और महाराष्ट्र के आदिवासी नयनाभिराम नृत्य के बीच भगवा वस्त्रधारी महात्माओं का हुजूम निकला तो सड़क के किनारे, घरों की छतों पर खड़े लोगों के मुंह से कुछ ऐसे ही शब्द निकले। मौका था पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी की पेशवाई का।
बैंडबाजा, ध्वज-पताका के साथ पैदल चल रहे महात्मा एवं चांदी के सिंहासन पर आसीन महामंडलेश्वरों पर सबकी आंखें टिकी रहीं। बीच-बीच में 'हर-हर महादेव' के उद्घोष से माहौल में भक्ति का रस घुलने के साथ सबके चेहरे पर चमत्कारिक चमक बिखर जाती।
मठ बाघंबरी गद्दी से हुई शुरूआत
मठ बाघंबरी गद्दी से सुबह पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी की पेशवाई आरंभ हुई। नागा संन्यासी व महात्माओं ने खिचड़ी, पापड़, दही व मिष्ठान ग्रहण किया। फिर चांदी की पालकी में अखाड़ा के आराध्य भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा को स्थापित करके चार महात्मा उसे कंधे पर उठाकर चल रहे थे।
इनसे आगे आराध्य की चरण पादुका को सिर पर रखे एक महात्मा थे। वहीं सबसे आगे अखाड़ा के आराध्य के चित्र वाला ध्वज, भगवा पताका एवं हनुमान जी की विशाल मूर्ति थी। इसके पीछे अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि पेशवाई का नेतृत्व करते हुए पैदल चल रहे थे। साथ अखाड़ा के सचिव महंत रवींद्र पुरी, महंत आशीष गिरि, श्रीमहंत आनंद गिरि सहित कई महात्मा थे। ऊंट, हाथी-घोड़ा पर नागा संन्यासी विराजमान थे।
तीनों भाला का हुआ विधिवत पूजन
दारागंज स्थित पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी मुख्यालय में सचिव महंत रवींद्र पुरी के नेतृत्व में सर्वप्रथम तीनों भाला का पूजन हुआ। फिर जयकारा लगाते हुए उन्हें पेशवाई में शामिल किया गया। भाला के पीछे मंत्रोच्चार के साथ अक्षत छिड़कते पुरोहित चल रहे थे। कारवां त्रिवेणी रोड बांध होते हुए सेक्टर 16 स्थित अखाड़ा के शिविर पहुंचा। वहां आराध्य की पालकी, भाला को पूजन करके धर्मध्वजा के पास स्थापित किया गया। अखाड़ा के महामंडलेश्वरों ने पुकार (धनराशि) अर्पित करके मत्था टेका फिर अपने-अपने शिविर में पहुंच गए। पेशवाई में महामंडलेश्वर सोमेश्वरानंद, महामंडलेश्वर विष्णु चैतन्य, महामंडलेश्वर स्वामी विद्यानंद पुरी, महामंडलेश्वर हरिओम पुरी, महामंडलेश्वर महेशानंद, महामंडलेश्वर प्रेमलता गिरि आदि शामिल रहे।
करतब दिखाते चल रहे थे नागा संन्यासी
पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी की पेशवाई शानदार थी। इसमें सैकड़ों नागा संन्यासी त्रिशूल, तलवार, भाला से करतब दिखाते हुए चल रहे थे। फूलों से सजे रथ पर चांदी के सिंहासन पर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरि विराजमान रहे। अल्लापुर लेबर चौराहा, अलोपीदेवी मंदिर चौराहा होते हुए पेशवाई दारागंज चौराहा पहुंची तो वहां अखाड़ा के प्राचीन भाला सूर्य प्रकाश, चंद्र प्रकाश व भैरव प्रकाश उसमें शामिल हुए।
फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा भी हुए शामिल
पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी की पेशवाई में लोगों के आकर्षण का केंद्र फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा रहे। वह भी पेशवाई के साथ चल रहे थे। वह अल्लापुर में पेशवाई में शामिल होकर वह अलोपीदेवी मंदिर चौराहा तक महंत नरेंद्र गिरि के साथ-साथ पैदल चले। इस दौरान उनके साथ फोटो खिंचवाने, सेल्फी लेने के लिए महात्माओं और आम लोगों में होड़ रही।
घोड़ा बिदका, सवार महात्मा चोटिल और 15 मिनट रुकी पेशवाई
निरंजनी अखाड़ा की पेशवाई में चल रहा एक घोड़ा अचानक बिदक गया और उछलने लगा। इससे उसपर बैठे महात्मा सड़क पर गिर गए तो घोड़े का पांव उनके पांव पर चढ़ गया। इससे उनका पांव टूट गया। इसके चलते पेशवाई 15 मिनट तक रुकी रही।
अखाड़ा की पेशवाई दोपहर 11.40 बजे अलोपीदेवी मंदिर चौराहा पहुंची तो महंत पवन पुरी का घोड़ा बिदक गया। इससे वह गिर पड़े। इसकी जानकारी महंत नरेंद्र गिरि को हुई तो उन्होंने पेशवाई रुकवाकर पास के अस्पताल में उन्हें ले गए। साथ चल रहीं अपर नगर आयुक्त ऋतु सुहास भी मौके पर आ गईं। पांव में पट्टी बंधवाकर वह अपनी गाड़ी में महंत पवन को लिटाकर दूसरे अस्पताल ले जाकर इलाज शुरू कराया। इसके बाद पेशवाई वहां से आगे रवाना हुई।
आकर्षण का केंद्र रहा डमरू दल
पेशवाई में वाराणसी से आया 51 सदस्यीय डमरू वादकों का दल आकर्षण का केंद्र रहा। भस्म उड़ाते हुए बड़ा डमरू बजाते युवाओं का दल सड़क पर निकला तो हर कोई कौतुहल भरी नजरों से उन्हें देखता रह गया।
चाढ़े चार कुंतल बरसा फूल
पेशवाई में पूरे मार्ग में महात्माओं के ऊपर फूल बरसाया गया। अखाड़ा ने मेरठ से चाढ़े चार कुंतल फूल मंगाया गया था।
मोहक रहा आदिवासी नृत्य
पेशवाई में महाराष्ट्र से आए आदिवासी कलाकारों का नृत्य सबको पंसद आया। श्रीराम के वनगमन, राम द्वारा शबरी के जूठे बेर खाने, हनुमान जी का लंका जलाने सहित रामायण के अनेक प्रसंगों को कलाकारों ने मोहक नृत्य के जरिए प्रस्तुत किया।