लोगों का दम निकाल रहे डीजल युक्त सवारी वाहन
अधिकारियों के रोक के बाद भी अभी तक डीजल युक्त सवारी वाहन सड़कों पर धड़ल्ले से चल रहे हैं। इससे जहां प्रदूषण बढ़ रहा है वहीं शहरियों में श्वांस संबंधी बीमारी भी फैल रही है।
जासं, इलाहाबाद : शहर में इन दिनों प्रदूषण ने लोगों को परेशान कर रखा है। एक ओर जहां कुंभ कार्याें की वजह से सड़क चौड़ीकरण से उड़ती धूल से शहरी परेशान हैं वहीं डीजलयुक्त सवारी वाहन भी प्रदूषण को बढ़ाने में मददगार हैं। संगम नगरी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कागजों में भले ही यहां से डीजल युक्त सवारी वाहन (टेंपो, ऑटो) और स्कूली बसों पर रोक लग चुकी है। निर्देश को धता बताते हुए अभी भी डीजल युक्त सवारी वाहन धड़ल्ले से शहर में चल रहे हैं। मंडलायुक्त के सख्त निर्देश के पश्चात भी इस पर रोकथाम नहीं लग पा रही है। जिन गाड़ियों का चालान भी होता है उसे छोड़कर फिर नगरी क्षेत्र में चलाया जा रहा है।
मंडलायुक्त डॉ. आशीष गोयल की अध्यक्षता में अप्रैल में हुई आरटीए की बैठक में 31 मई तक डीजल युक्त सवारी वाहनों को नगरी क्षेत्र में चलने की इजाजत थी। मियाद पूरी होने के लगभग ढाई महीने बाद भी शहर में धड़ल्ले से डीजल युक्त सवारी गाड़ियां बेरोकटोक चल रही हैं। एटी, बीटी, सीटी, डीटी, ईटी की गाड़ियों के बारे में कोई पूछने वाला नहीं है। जबकि इस सीरीज की गाड़ियां केवल ग्रामीण क्षेत्र में चल सकती हैं।
दूसरी ओर आरटीओ कार्यालय दावा करता है कि डीजल युक्त गाड़ियों के खिलाफ नियमित कार्रवाई होती है। हालांकि उसके बाद भी शहर में 40 फीसद से ज्यादा ऐसी गाड़ियां चल रही हैं। बैरहना, सिविल लाइंस, कटरा, तेलियरगंज, अलोपीबाग, सुलेमसराय समेत सभी सड़कों पर ऐसी गाड़ियां सुबह से लेकर देर शाम तक दौड़ रही हैं। जब से डीजल युक्त सवारी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगी है, तब से 13 सौ से अधिक सीएनजी ऑटो पंजीकृत हो चुके हैं।
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चल रहा अभियान
आरटीओ प्रवर्तन आरके सिंह का कहना है कि सोमवार से डीजल युक्त सवारी वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। शहरी क्षेत्र में डीजल वाहनों को किसी सूरत में चलने नहीं दिया जाएगा। ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ने पर परमिट भी निरस्त किया जा सकता है।
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आंकड़े..
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-3000 हजार से अधिक डीजल युक्त वाहन शहर में
-1323 सीएनजी ऑटो चल रहे शहर में
-160 स्कूल बसों में लग चुकी है सीएनजी किट