29 साल में पीडीए नहीं शुरू कर सका एक भी आवास योजना Prayagraj News
प्रयागराज विकास प्राधिकरण पिछले 27 सालों में एक भी आवास योजना की शुरुआत नहीं कर सका है। इसके चलते बड़ी संख्या में नौकरी पेशा वाले लोग किराए के मकान में रहने को मजबूर हैं।
By Edited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 08:05 PM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2019 08:22 AM (IST)
प्रयागराज, विजय सक्सेना। प्रयागराज को नौकरीपेशा लोगों का शहर कहा जाता है। यहां बड़ी संख्या ऐसे नौकरीपेशा लोगों की है जो किराए के मकान में रहते हैं। इनमें भी निम्न, निम्न मध्यम और मध्यम आय वर्ग के लोग ज्यादा हैं। ऐसा हर व्यक्ति चाहता है कि उसका भी अपना मकान हो। इसके लिए वह प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) से उम्मीद लगाए रहता है। ताकि उसे निजी आवासीय योजनाओं के मुकाबले कम कीमत में प्लाट या फ्लैट मिल सके। हालांकि पीडीए पिछले 29 वर्ष में शहर में एक भी बड़ी आवासीय योजना नहीं शुरू कर सका है। क्योंकि पीडीए का लैंडबैंक खाली है।
पीडीए ने अंतिम आवास योजना 1990 में फाफामऊ में लांच की थी
पीडीए ने 1990 में फाफामऊ में शांतिपुरम और राजरूपपुर में कालिंदीपुरम अंतिम आवास योजना लांच की थी। उसी जगह निजी बिल्डरों के पास जमीन की कोई कमी नहीं है। शहर या बाहरी इलाके में वे जहां चाहते हैं, जमीन उपलब्ध हो जाती है और साल दो साल में योजना तैयार कर देते हैं। नैनी, झूंसी से लेकर मनौरी तक कई निजी आवासीय योजनाएं विकसित हो चुकी हैं।
महंगे प्लाट और फ्लैट खरीदना आम आदमी के लिए संभव नहीं
निजी बिल्डरों की इन योजनाओं में प्लाट और फ्लैट काफी महंगे होते हैं जिसे खरीद पाना आम आदमी के बस में नहीं है। इसलिए निम्न, निम्न मध्यम और मध्य आय वर्ग के लोग पीडीए से प्लाट व फ्लैट लेना ज्यादा पसंद करते हैं। क्योंकि निजी आवासीय योजनाओं के मुकाबले पीडीए की योजनाओं में प्लाट, फ्लैट की कीमत अपेक्षाकृत कम होती है।
शहर में जमीन के पड़े लाले
पीडीए के पास शहर के भीतर जमीन नहीं है जबकि निजी बिल्डरों को आसानी से जमीन उपलब्ध हो जाती है। चाहे सिविल लाइंस, जार्जटाउन, टैगोर टाउन, अशोक नगर जैसे पॉश इलाके हो या फिर चौफटका, सुलेमसराय, कटरा, अल्लापुर, ममफोर्डगंज, मीरापुर, करेली जैसे इलाके, यहां निजी बहुमंजिला अपार्टमेट्स की भरमार हो गई है। इनमें बनने वाले फ्लैटों की कीमत भी 50 से 70 लाख रुपये या उससे अधिक है। हालांकि इतने कीमती फ्लैट खरीद पाना आम आदमी के बस में नहीं है। इसलिए ऐसे लोग पीडीए से उम्मीद लगाए रहते हैं।
अधिग्रहण की योजना तो बनी पर नहीं ले सका जमीन
वर्ष 1990 के बाद पीडीए ने शहर या बाहरी इलाके में कहीं भी जमीन अधिग्रहण नहीं किया। हालांकि फाफामऊ में मलाक हरहर, नैनी में औद्योगिक नगर थाने के पास रेलवे लाइन के आसपास बड़ी आवासीय योजनाओं के लिए अब से करीब आठ वर्ष पहले जमीन अधिग्रहण की योजना बनी लेकिन उसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका।
चिह्नित की गई नजूल भूमि भी पीडीए नहीं ले सका
उसी दौरान सिविल लाइंस में लोहिया मार्ग, क्लाइव रोड पर भी बहुमंजिला आवास योजना के लिए नजूल भूमि चिह्नित की गई लेकिन उसे भी पीडीए नहीं ले सका।
क्या कहते हैं पीडए के सचिव
पीडीए के सचिव दयानंद प्रसाद कहते हैं कि नई योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण का प्रयास किया जा रहा है। नैनी में 35 हेक्टेयर जमीन पर आवास योजना की तैयारी है। भूउपयोग परिवर्तन का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। झूंसी के शेरडीह गांव तथा झलवा में भी जमीन अधिग्रहण की योजना बनाई जा रही है।
पीडीए ने अंतिम आवास योजना 1990 में फाफामऊ में लांच की थी
पीडीए ने 1990 में फाफामऊ में शांतिपुरम और राजरूपपुर में कालिंदीपुरम अंतिम आवास योजना लांच की थी। उसी जगह निजी बिल्डरों के पास जमीन की कोई कमी नहीं है। शहर या बाहरी इलाके में वे जहां चाहते हैं, जमीन उपलब्ध हो जाती है और साल दो साल में योजना तैयार कर देते हैं। नैनी, झूंसी से लेकर मनौरी तक कई निजी आवासीय योजनाएं विकसित हो चुकी हैं।
महंगे प्लाट और फ्लैट खरीदना आम आदमी के लिए संभव नहीं
निजी बिल्डरों की इन योजनाओं में प्लाट और फ्लैट काफी महंगे होते हैं जिसे खरीद पाना आम आदमी के बस में नहीं है। इसलिए निम्न, निम्न मध्यम और मध्य आय वर्ग के लोग पीडीए से प्लाट व फ्लैट लेना ज्यादा पसंद करते हैं। क्योंकि निजी आवासीय योजनाओं के मुकाबले पीडीए की योजनाओं में प्लाट, फ्लैट की कीमत अपेक्षाकृत कम होती है।
शहर में जमीन के पड़े लाले
पीडीए के पास शहर के भीतर जमीन नहीं है जबकि निजी बिल्डरों को आसानी से जमीन उपलब्ध हो जाती है। चाहे सिविल लाइंस, जार्जटाउन, टैगोर टाउन, अशोक नगर जैसे पॉश इलाके हो या फिर चौफटका, सुलेमसराय, कटरा, अल्लापुर, ममफोर्डगंज, मीरापुर, करेली जैसे इलाके, यहां निजी बहुमंजिला अपार्टमेट्स की भरमार हो गई है। इनमें बनने वाले फ्लैटों की कीमत भी 50 से 70 लाख रुपये या उससे अधिक है। हालांकि इतने कीमती फ्लैट खरीद पाना आम आदमी के बस में नहीं है। इसलिए ऐसे लोग पीडीए से उम्मीद लगाए रहते हैं।
अधिग्रहण की योजना तो बनी पर नहीं ले सका जमीन
वर्ष 1990 के बाद पीडीए ने शहर या बाहरी इलाके में कहीं भी जमीन अधिग्रहण नहीं किया। हालांकि फाफामऊ में मलाक हरहर, नैनी में औद्योगिक नगर थाने के पास रेलवे लाइन के आसपास बड़ी आवासीय योजनाओं के लिए अब से करीब आठ वर्ष पहले जमीन अधिग्रहण की योजना बनी लेकिन उसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका।
चिह्नित की गई नजूल भूमि भी पीडीए नहीं ले सका
उसी दौरान सिविल लाइंस में लोहिया मार्ग, क्लाइव रोड पर भी बहुमंजिला आवास योजना के लिए नजूल भूमि चिह्नित की गई लेकिन उसे भी पीडीए नहीं ले सका।
क्या कहते हैं पीडए के सचिव
पीडीए के सचिव दयानंद प्रसाद कहते हैं कि नई योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण का प्रयास किया जा रहा है। नैनी में 35 हेक्टेयर जमीन पर आवास योजना की तैयारी है। भूउपयोग परिवर्तन का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। झूंसी के शेरडीह गांव तथा झलवा में भी जमीन अधिग्रहण की योजना बनाई जा रही है।
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