प्रयागराज के सरकारी अस्पताल का हाल, बिजली कटने पर मोबाइल की रोशनी में दवा लिख रहे डाक्टर
मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल (काल्विन अस्पताल) में सोमवार को दिन में 10 से दो बजे तक के बीच में कई बार बिजली कटी। ओपीडी में डाक्टरों ने रोगियों का हित देखते हुए मोबाइल फोन की रोशनी में दवाएं लिखीं। वहीं उमस व गर्मी से अन्य लोग बेहाल रहे।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज के सरकारी अस्पतालों में जनसुविधाएं बढ़ाने पर सरकार का जोर है और धरातल पर प्रशासनिक उदासीनता के चलते व्यवस्थाएं मटियामेट हैं। गर्मी के दिनों में कहीं जेनरेटर खराब हैं कहीं डीजल का इंतजाम ही नहीं। सबसे खराब हालात मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल यानी काल्विन अस्पताल के हैं जहां बिजली कट जाने पर ओपीडी अंधेरे में संचालित होती है। बिल्कुल ग्रामीण अस्पतालों के जैसी।
काल्विन अस्पताल में आज कई बार बिजली कटौती : काल्विन अस्पताल में सोमवार को दिन में 10 से दो बजे तक के बीच में कई बार बिजली कटी। ओपीडी में डाक्टरों ने रोगियों का हित देखते हुए मोबाइल फोन की रोशनी में दवाएं लिखीं। वहीं उमस व गर्मी से अन्य लोग बेहाल रहे। काल्विन मंडलीय अस्पताल है जाहिर इै इसमें बीच शहर के अलावा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से भी लोग अपना उपचार कराने आते हैं। इसमें व्यवस्थाएं दुरुस्त होनी चाहिए, प्रशासनिक कार्यालय की फाइल में सब ओके भी रहता है।
जनरेटर नहीं चलने से मरीजों के साथ डाक्टर परेशान : इस अस्पताल में प्रत्येक माह डीजल के खर्च का ब्योरा भी लंबा चौड़ा है। हालांकि जनसुविधाओं पर अमल सरकार की किरकिरी कराने वाला है। बिजली चली जाने पर यहां जनरेटर फौरन नहीं चलाया जाता। सप्लाई में कोई बड़ी खराबी हुई तो ही जेनरेटर चलता है। सोमवार को बिजली की सप्लाई थोड़ी-थोड़ी देर में बाधित होती रही लेकिन जनरेटर नहीं चला। डाक्टरों ने अंधेरे में ही मोबाइल फोन की रोशनी करके ओपीडी संचालित रखी।
प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने क्या कहा : इस संबंध में प्रमुख चिकित्साधीक्षक डा. इंदु कनौजिया कहती हैं कि जेनरेटर बराबर चलाया जाता है। हो सकता है कि आपरेटर कुछ देर के लिए कहीं चला गया हो इस वजह से जनरेटर बंद रहा। लेकिन अगर काफी देर तक जेनरेटर नहीं चला तो इस शिकायत की जांच कराएंगी।
खुल गया जनऔषधि केंद्र : काल्विन अस्पताल परिसर में जनऔषधि केंद्र सोमवार से खुल गया। इसमें जेनेरिक दवाएं मिलेंगी। पहले दिन इसमें कोई ग्राहक नहीं पहुंचा क्योंकि डाक्टरों को इसके खुलने की जानकारी नहीं थी और दवाएं भी कम मंगाई गई थीं। यह केंद्र करीब डेढ़ साल से बंद था। विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से हुए निर्णय के बाद सभी अस्पताल के जनऔषधि केंद्र पहले ही खुल चुके हैं, काल्विन अस्पताल का केंद्र ही शेष था।