मरीजों को गोद में उठाकर भागते रहे तीमारदार, चेहरे पर बदहवासी
जूनियर डाक्टरों की दो दिनों से हड़ताल क्या हुई स्वरूपरानी नेहरू की व्यवस्था ही पटरी से उतर गई।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज : जूनियर डाक्टरों की दो दिनों से हड़ताल क्या हुई, स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय (एसआरएन) की प्रशासनिक व्यवस्था ही चरमरा उठी। तीमारदार अपने मरीजों को गोद में उठाकर बदहवास हो इधर-उधर भागते दिखे और वाडरें में दवा इलाज को मरीज केवल नसरें के भरोस रहे। दर्द से कराहते मरीजों की व्यथा सुनने वाला कोई नहीं रहा। पुरानी बिल्डिंग के वाडरें में हालात इस कदर रहे कि मरीजों का हाल जानने सीनियर डाक्टर तक नहीं पहुंचे। वहीं अस्पताल प्रशासन यह दावे करता रहा कि हड़ताल से व्यवस्थाओं पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा। सप्ताह का शुरुआती दिन सोमवार ऐसा होता है कि एसआरएन के पर्चा काउंटर (पंजीकरण काउंटर) पर अत्यधिक भीड़ के चलते तिल रखने की जगह भी नहीं बचती। वही पर्चा काउंटर सन्नाटे में रहा।
बीच रास्ते पड़ी कराहती रही शाइजा
यमुनापार के कोराव निवासी 60 वर्षीय वृद्ध शाइजा सोमवार को अपना इलाज कराने के लिए एसआरएन पहुंची थी। उसके साथ घर की एक अन्य महिला थी। शाइजा को एक ओपीडी से यह कहकर वापस कर दिया गया कि आज डाक्टर नहीं आए हैं। वह इस उम्मीद में आई थी कि इलाज के लिए डाक्टर भर्ती कर लेंगे लेकिन इस गरीब महिला पर भी किसी को तरस नहीं आया।
डाक्टर साहब कल से नहीं आए
पुरानी बिल्डिंग के वार्ड दो में भर्ती मरीज ने पहले तो कहा कि डाक्टर साहब कल (रविवार) से देखने के लिए नहीं आए। कहा कि स्टाफ रूम से नसर्ें भी गायब रहती हैं लेकिन जब उसे भनक लगी कि दैनिक जागरण में व्यथा लिखी जाएगी तो मरीज ने डर वश कहा कि उसका नाम न लिखा जाए।
साहब क्या दवा खाएं जब डाक्टर ही नहीं आए
वार्ड नौ में भर्ती मरीज की पीड़ा कुछ अलग रही। उसे दवा खाना था लेकिन यह नहीं पता था कि दवा कब कौन सी खाएं। वार्ड में डाक्टर रहते हैं तो उनसे पूछ लेते हैं। मरीज ने कहा कि डाक्टर दो दिन से नहीं आए, इससे तो अच्छा है कि प्राइवेट अस्पताल में जाकर इलाज करा लें।