सूख रहा धान का कटोरा, बारिश की चाहत में आसमान निहार रहा प्रयागराज का किसान
बारिश कम होने से धान का कटोरा कहे जाने वाले प्रयागराज में यमुनापार के खीरी और लेडिय़ारी में सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। बारिश पर्याप्त न होने से किसान परेशान हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। यूं तो पिछले दिनों दो दिन बारिश हुई थी लेकिन कम ही थी। कुल मिलाकर एक माह से बारिश के न होने से इस समय लेडिय़ारी क्षेत्र में सूखे जैसी स्थिति हो गई है। पानी के अभाव में धान की फसल पीली पड़ती जा रही है। ऐसी हालत में किसान प्यासे पपीहे के समान आसमान निहारने को मजबूर है।
यमुनापार का लेडि़यारी व खीरी इलाका धान का बेल्ट है
यमुनापार में लेडिय़ारी और खीरी इलाका धान का बेल्ट है। इसीलिए इस क्षेत्र को धान का कटोरा कहा जाता है। कृषि विभाग के आंकड़े मुताबिक यह क्षेत्र में पूरे जिले के लिए चावल मुहैय्या कराता है। यहां बड़ी संख्या में किसान बासमती धान की भी खेती करते हैैं। इस क्षेत्र में धान की अच्छी फसल के लिए ही वर्ष 1955 में तत्कालीन मुख्यमंत्री संपूर्णानंद ने टोंस नदी से नहर परियोजना का निर्माण कराया था। नारीबारी-कोरांव मार्ग पर टोंस नदी पर उन्होंने ऐसा पुल बनवाया था, जो भारतीय अभियांत्रिकी कौशल की आज भी नजीर है। इस पुल के नीचे से नहर निकाली गई है। हालांकि अब यह पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। इस साल इस बेल्ट के किसान बारिश कम होने से चिंतित हैैं।
धान की फसल मुरझाने लगी है
दरअसल, शुरू में तो अच्छा बरसात हो गई मगर अब बारिश न होने से धान की फसल मुरझाने लगी है। कई स्थानों पर तो धान की फसल पीली पडऩे लगी है। इसके कारण ही धान की खेती करने वाले किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैैं। नारीबारी से लेकर लेडिय़ारी बाजार और लेडिय़ारी से कोरांव तक तथा खीरी से लेडिय़ारी तक दर्जनों गांवों में सूखे के हालात पैदा होने लगे हैैं। सबसे ज्यादा उन किसानों को चिंता है जो भूमिहीन हैैं और बड़ी जोत के किसानों की भूमि को बटाई पर लेकर खेती करते हैैं।
किसानों ने बयां किया दर्द
लेडिय़ारी के किसान लवकुश दुबे, गोबरा के संतोष द्विवेदी, बघोल के पूर्व प्रधान तेज प्रताप सिंह, बहरैचा के विजय कुमार भुॢतया, गडऱी के रमेश कुमार तिवारी का कहना है कि किसी तरह धान की रोपाई की गई थी। बारिश न होने के कारण अब धान की फसल मुरझाने लगी है। किसानों ने बताया कि इस साल सैकड़ों बीघे भूमि पर रोपाई भी नहीं हो सकी है।
कृषि पर निर्भर है 75 फीसद आबादी
यमुनापार के लेडिय़ारी, कोरांव, खीरी, मेजा, मांडा, बारा, कौंधियारा, जसरा, शंकरगढ़, करछना इलाके की 75 फीसद आबादी कृषि पर ही निर्भर है। कृषि एवं इससे संबंधित कार्य इस क्षेत्र की अधिकांश जनसंख्या के लिए आजीविका का मुख्य साधन हैं।