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स्वास्थ्य विभाग में जमे 122 लिपिकों में से 79 का तबादला, प्रयागराज से पश्चिमी यूपी के जिलों में स्थानांतरित

प्रयागराज के जिला अस्पताल मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय जिला महिला चिकित्सालय स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय टीबी अस्पताल प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा सीएमओ कार्यालय में 122 लिपिक कार्यरत हैं। इनमें 79 कर्मचारी स्थानांतरित हुए हैं। यह समूह ग के कर्मचारी हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 01:18 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 01:18 PM (IST)
स्वास्थ्य विभाग में जमे 122 लिपिकों में से 79 का तबादला, प्रयागराज से पश्चिमी यूपी के जिलों में स्थानांतरित
10 साल से अधिक अवधि से जमे इन बाबुओं को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में भेजा गया है

प्रयागराज, जागरण संवाददाता।  स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत 79 लिपिक 15 जुलाई को गैरजनपद स्थानांतरित कर दिए गए हैं। जिले में 10 साल से अधिक अवधि से जमे इन बाबुओं में किसी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में दिल्ली बार्डर भेजा गया है तो कुछ लोगों को वाराणसी, कानपुर, जौनपुर या अन्य आसपास के जनपद में भी तैनाती दी गई है। यह स्थानांतरण उन कर्मचारियों को अखर रहा है जिनकी पत्नी किसी दूसरे सरकारी विभाग में कार्यरत हैं। स्थानांतरित कर्मचारियों में 50 फीसद को कार्यमुक्त भी किया जाने लगा है। इनसे रिक्त हो रहे पदों के सापेक्ष दूसरे जिले से अब तक दो ही कर्मचारियों को तैनाती मिली है।

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समूह ग के कर्मचारी हैं

जिला अस्पताल, मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय, जिला महिला चिकित्सालय, स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय, टीबी अस्पताल, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा सीएमओ कार्यालय में 122 लिपिक कार्यरत हैं। इनमें 79 कर्मचारी स्थानांतरित हुए हैं। इन्हें गाजियाबाद, मुरादाबाद, सहारनपुर, हापुड़, बलरामपुर, अलीगढ़, बागपत तथा पूर्वांचल के गाजीपुर, देवरिया, बस्ती, बलिया, वाराणसी, इधर कानपुर और अन्य जनपदों में तैनाती दी गई है। यह सभी समूह 'ग कर्मी हैं। इन कर्मचारियों में कई ऐसे हैं जिन्हें अपने सामने कई तरह की परेशानियां दिख रही हैं। बच्चों की पढ़ाई में बाधा पहुंचने की आशंका सता रही है और कोविड संक्रमण काल में दूसरे जनपदों में किराए का कमरा मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

 स्थानांतरण नीति की अनदेखी

उप्र मेडिकल एंड पब्लिक हेल्थ मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन का कहना है कि स्थानांतरण नीति में चार बिंदु अहम हैं। दंपती अगर सरकारी कर्मचारी हों व एक ही जिले में कार्यरत हों तो उनका स्थानांतरण नहीं किया जा सकता। जिसकी सेवा दो साल से कम बची हो, जो दिव्यांग हो और जिस कर्मचारी पर उनके परिवार का कोई सदस्य पूरी तरह से आश्रित हो उसका भी स्थानांतरण दूसरे जनपद में नहीं किया जा सकता। इसके अलावा जिस महिला या पुरुष कर्मचारी की उम्र करीब 55 साल है उसका स्थानांतरण मानवीय दृष्टिकोण से आस पड़ोस के जनपद में किया जाना चाहिए। एसोसिएशन का कहना है कि 15 जुलाई को हुए स्थानांतरण में इसकी अनदेखी की गई है।


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