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रोगी कल्याण समिति के नाम पर महज खानापूर्ति, जांच में खुल रही पोल

रोगी कल्‍याण समिति में अनियमितता व्‍याप्‍त है। शिकायत पर सीएमओ ने जांच कमेटी गठित की है। इसमें पोल खुल रही है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 01:14 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 01:14 PM (IST)
रोगी कल्याण समिति के नाम पर महज खानापूर्ति, जांच में खुल रही पोल
रोगी कल्याण समिति के नाम पर महज खानापूर्ति, जांच में खुल रही पोल

प्रयागराज : सरकारी अस्पतालों में रोगी कल्याण समिति महज खानापूर्ति तक सीमित है। इसके नाम पर विभाग में बड़े पैमाने पर खेल हो रहा है। इसकी भनक सीएमओ को लगी तो उन्होंने जांच के लिए कमेटी गठित कर दी। कमेटी के सदस्य विभिन्न सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचकर इसकी हकीकत जानने में लगे हैं।

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सीएचसी व पीएचसी में हो रही मनमानी

जिला मुख्यालय समेत सभी सीएचसी व पीएचसी पर रोगी कल्याण समिति का गठन किया जाता है। इस समिति की बैठक में अस्पताल में होने वाले कार्यों पर सहमति बनती है। यहां अधिकांश सीएचसी व पीएचसी ऐसे हैं जो न तो बैठक कर रहे हैं और बिना किसी सूचना के मनमाने ढंग से रुपये का बंदरबांट कर लेते हैं। अब इसकी जांच के निर्देश दिए गए हैं। जांच शुरू हुई तो परत दर परत अस्पतालों में हुए खेल की पोल खुलने लगी है।

ग्रामीण अंचल के स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति दयनीय

सैदाबाद, शंकरगढ़, कोरांव व सोरांव की स्थिति सबसे खराब है। जांच अधिकारियों के मुताबिक, कुछ स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति बहुत ही खराब है। पहले बजट का बंदरबांट कर लिया जाता है फिर बाद में हस्ताक्षर करा लिया जाता है।

यह है बजट का प्रावधान

जिला स्तर के अस्पतालों में रोगी कल्याण समिति के लिए प्रतिवर्ष दस लाख रुपये, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को पांच लाख रुपये व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को प्रतिवर्ष 1.68 लाख रुपये दिया जाता है। इस बजट से अस्पताल में छोटे मोटे सामान, पानी, बिजली व मरीजों की सुविधानुसार अन्य व्यवस्था की जाती है।

क्या कहते हैं सीएमओ

सीएमओ डॉ. जीएस बाजपेई कहते हैं कि रोगी कल्याण समिति के नाम पर जिम्मेदार लापरवाही व मनमानी कर रहे हैं। सूचना मिली है, जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी है। कार्रवाई की जाएगी।


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