Allahabad University: NSS की स्वयंसेवियों को आत्मसुरक्षा का पाठ पढ़ाया, जागरूकता का दिलाया संकल्प
बौद्धिक सत्र के दूसरे वक्ता के रूप में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग की डॉ. शेफाली नंदन ने आर्थिक सबलता और उसके निर्माण के पक्षों पर चर्चा की। एक सबल और मजूबत नारी अपने समाज और राष्ट्र के निर्माण में अपनी भूमिका किस प्रकार तय करती है बताया।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इकाई) की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सुधा त्रिपाठी के नेतृत्व में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) से जुड़ीं स्वयंसेवियों को आत्मसुरक्षा का पाठ पढ़ाया गया। छात्राओं ने सवालों की बौछार कर दी, जिसे चुटकी में हलकर उनकी जिज्ञासा भी शांत की गई। इसी दौरान स्त्री सम्मान, शक्ति और आर्थिक सामर्थ्य के प्रति जागरूक रहने का संकल्प दिलाया गया।
कानूनी सलाह देने पहुंचीं अधिवक्ता सुमति
बौद्धिक सत्र के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की अधिवक्ता सुमति ने सरोकारों पर चर्चा की। मसलन भारतीय संविधान में नारी के अधिकार किस प्रकार सुनिश्चित है। महिलाएं उनके प्रति कितनी जागरूक हैं। उनका कितना और किस प्रकार उपयोग और दुरुपयोग हो रहा है। किसी संस्थान में पढ़ते समय, कहीं नौकरी करते हुए किन-किन कानूनों के तहत आबादी का आधा हिस्सा अपने को महफूज कर सकता है। आज समाज में महिलाओं को प्राप्त इन अधिकारों के यदा-कदा नकारात्मक उपयोग से पुरूष समाज के मन में भय का भी वातारण निर्मित हुआ है। इस बात को भी संवेदनशील ढंग से देखने की जरूरत है। ऐसे बहुत से मुद्दों पर उनके साथ लड़कियों ने उत्साह के साथ बातचीत की।
डॉ. शेफाली पर सवालों की बौछार
बौद्धिक सत्र के दूसरे वक्ता के रूप में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग से डॉ. शेफाली नंदन ने आर्थिक सबलता और उसके निर्माण के बहुत से पक्षों पर चर्चा की। एक सबल और मजूबत नारी अपने समाज और राष्ट्र के निर्माण में अपनी भूमिका किस प्रकार तय करती है, इस पर विस्तृत बात की। स्वयंसेविकाओं को सिखाया कि जिस परिस्थिति से आप असहज होते हैं, उसकी मजबूती के प्रत्येक पक्ष पर कैसे काम किया जाता है। इतनी जरूरी बात पर लड़कियों ने सवालों के झड़ी लगा दी और स्वयं इसका जवाब खोजना भी सीखा।
डॉ. मंजू सिंह ने बढ़ाया हौसला
अंत मे कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मंजू सिंह ने निष्ठा और नेकी का भाव देकर एक बेहतर इंसान बनने की नसीहत दी। कहा कि यही लोग आगे चलकर अपने राष्ट्र की दशा दिशा तय करने में, समाज को संतुलित बनाए रखने में अपनी भूमिका का निर्वहन करते हैं।