अब जीईटी एंड डी इंडिया लिमिटेड कंपनी के कर्मचारियों की शामत, जानें कारण
नैनी की जीईटी एंड डी इंडिया लिमिटेड कंपनी भी बंद होने की स्थिति में नजर आ रही है। इससे यहां के कर्मचारी दहशत में हैं। उन्होंने सांसद रीता बहुगुणा जोशी से मुलाकात भी की थी।
प्रयागराज, जेएनएन। नैनी की एक और कंपनी बंद होने की कगार पर है। घाटे के कारण नहीं, बल्कि शीर्ष प्रबंधन इसे यहां ज्यादा समय तक चलाने के पक्ष में नहीं है। लिहाजा, कंपनी में नए आर्डर नहीं लिए जा रहे हैं, प्रबंधन वर्ग की संख्या भी लगातार घटाई जा रही है। अब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए कर्मचारियों पर दबाव बनाया जा रहा है। इससे उनमें दहशत है। इस संबंध में यहां के कुछ कर्मचारियों ने सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी से मिलकर मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।
कंपनी को बड़ोदरा शिफ्ट करने की गुपचुप तैयारी
करीब 61 वर्ष पहले जीईसी के नाम से स्थापित इस कंपनी के कई बार नाम बदले। मौजूदा समय में कंपनी जीईटी एंड डी इंडिया लिमिटेड के नाम से चल रही है। कंपनी के उत्पादन से होने वाले लाभ से यहां एनपीटी प्लांट लगाया गया। गुजरात के बड़ोदरा में भी एलटीआइ नाम से नया प्लांट लगाया गया। अब यहां की कंपनी को बड़ोदरा शिफ्ट करने की गुपचुप तैयारी है। ऐसा होने से सैकड़ों कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे। कर्मचारियों का दावा है कि कंपनी कभी घाटे में नहीं रही। यह भी दावा है कि 13 फरवरी-2019 को प्रबंधन द्वारा स्थायी कर्मचारियों को बड़ोदरा शिफ्ट करने के लिए अनौपचारिक सूचना चस्पा की गई, लेकिन यह मात्र दिखावा है। उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण इसको लेकर पहले मुहिम चला चुका है।
कंपनी के प्रमुख कस्टमर
कंपनी प्रमुख कस्टमर पीजीसीआइएल, केपीटीसीएल, हिंडाल्को, स्ट्रलाइट ग्रिड, एनटीपीसी, रेलवे, यूपीपीसीएल, सीएसपीटीसीएल आदि हैं।
ट्रांसफार्मर की टेस्टिंग के इंतजाम नहीं
कंपनी में ट्रांसफार्मर की टेस्टिंग के इंतजाम नहीं हैं। टेस्टिंग बेंगलुरु और बड़ोदरा में होता है। वहां भी इसके लिए लाइन में लगना पड़ता है। टेस्टिंग के लिए ट्रांसफार्मर को ले जाने और लाने में भी मोटी रकम खर्च होती है। इस झंझट से बचने के लिए शीर्ष प्रबंधन कंपनी को बड़ोदरा शिफ्ट करना चाहता है।
खास बातें
-2000 स्थायी कर्मचारी पहले थे कंपनी में। अब घटकर रह गए मात्र 234। 500 अस्थायी कर्मचारी भी हैं।
-500 करोड़ रुपये का है वार्षिक उत्पादन
- 145 से 400 केवी, 20 से 520 एमवीए क्षमता के विश्वस्तरीय ट्रांसफार्मर बनते हैं कंपनी मेंं।
बंद हो चुकी कंपनियां
-त्रिवेणी स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग लिमिटेड
-त्रिवेणी इंजीनियरिंग वर्क्स
-त्रिवेणी शीट एवं ग्लास वक्र्स
-इलाहाबाद ग्लास वक्र्स
-नैनी ग्लास वक्र्स
-लिप्टन चाय
-चैंपियन साइकिल्स
-संगम स्ट्रक्चरल
-मेजा कताई मिल
-नैनी कॉटन मिल
-रिलायंस फैक्ट्री
-टीएसएल
-हिंदुस्तान केबल्स
-आइटीआइ
25 हजार लोग हो चुके बेरोजगार
-इन कंपनियों के धीरे-धीरे बंद होने से करीब 25 हजार लोगों के बेरोजगार होने का अनुमान है। परोक्ष रूप से भी हजारों लोगों पर इसका प्रभाव अवश्य पड़ा होगा।
एक कंपनी हुई पुनर्जीवित
-हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड ही पुनर्जीवित हुई। उसकी जगह नैनी एयरोस्पेस लिमिटेड की स्थापना हुई। पुराने कर्मचारियों को इसमें नौकरी भी दी गई।
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