चौराहों पर धूल फांक रही भारत की संस्कृति, ऐसी उपेक्षा Prayagraj News
कुंभ के दौरान शहर के विभिन्न चौराहों का सुंदरीकरण हुआ। कलाकृतियां भी लगाई गई। हालांकि अब इनकी देखभाल नहीं की जा रही है इस पर धूल की परत चढ़ने लगी है।
प्रयागराज, [अमरदीप भट्ट]। कुंभ के दौरान प्रयागराज की सुंदरता में चार चांद लगाने व श्रद्धालुओं को भारत की संस्कृतियों से रूबरू कराने के लिए शहर के चौराहों पर लगाई गईं कलाकृतियां धूल फांक रही हैं। इनकी नियमित देखभाल नहीं हो रही है। कुंभ खत्म होने के बाद जिम्मेदार विभाग द्वारा इनकी उपेक्षा शुरू कर दी गई है।
कुंभ के दौरान सुंदरीकरण की देश-विदेश में हुई थी तारीफ
संगम तट पर लगे दिव्य और भव्य कुंभ ने प्रयागराज का कायाकल्प भी किया। केंद्र और प्रदेश सरकार की योजना पर शहर में ऐसा सुंदरीकरण हुआ कि यहां के निवासी ही अवाक रह गए। दूसरे देशों की तर्ज पर चौराहों पर आकर्षक कलाकृतियां स्थापित की गईं। इनमें अधिकांश कलाकृतियां भारत की सांस्कृतिक विरासत को बताने वाली हैं। कहीं लोक वाद्ययंत्र पर आधारित, कहीं समुद्र मंथन तो कहीं महिलाओं के परिवेश को लेकर मूर्तियां स्थापित की गईं। उनका बेहतर रंग रोगन भी हुआ। प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने इन्हें और आकर्षक बनाने के लिए इनके आसपास रंगीन प्रकाश की व्यवस्था कराई। हालांकि कुंभ मेला खत्म होने के साथ इन कलाकृतियों की देखभाल से सभी का ध्यान हट गया।
कलाकृतियों के प्रति उपेक्षा का भाव
मौजूदा समय में सांस्कृतिक पहचान देने वाली कलाकृतियों पर धूल की परत जम गई है। निरंजन डाट पुल के मुहाने पर लगी श्रीकृष्ण पालना की झांकी शाम को अंधेरे में खो जाती है। सिविल लाइंस क्षेत्र में जगह-जगह कलाकृतियों के आसपास पार्क में झाडिय़ां उग आई हैं। वहां अब न गमले हैं और नियमित रूप से रंगीन लाइट जलती हैं।
बोले पीडीए के अधिशासी अभियंता
प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता एसडी शर्मा ने दावा किया है कि कलाकृतियां की समय-समय सफाई कराई जाती है। हालांकि नियमित सफाई के मामले में वे कुछ नहीं बोले। निगरानी के संबंध में कहा कि जिस एजेंसी के कलाकारों ने कलाकृतियां बनाई हैं एक साल तक उन्हें देखभाल व मेंटेनेंस करना है। उसके बाद प्राधिकरण की जिम्मेदारी होगी।
कहीं नहीं लगे डिस्प्ले बोर्ड
सांस्कृतिक कलाकृतियां देखकर लोग यह नहीं समझ पाते कि वह क्या संदेश दे रही हैं। बच्चे भी अपने माता-पिता से जिज्ञासा वश पूछते हैं तो उन्हें उचित जानकारी नहीं मिल पाती। कलाकृति के पास डिस्प्ले बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। इसे पीडीए ने दैनिक जागरण का सुझाव माना और कहा जल्द ही कदम उठाए जाएंगे।
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