एनसीजेडसीसी के उद्देश्य को भटका रहे हैं कबाड़ नगाड़े Prayagraj News
मुक्ताकाशी मंच के सामने और आसपास लगे ताड़ व खजूर के पेड़ों में भी कुछ ऐसे ही दृश्य आपको विस्मित करेंगे।नगाड़ों के अलावा दूसरे कोई वाद्य यंत्र का प्रदर्शन नहीं है।
प्रयागराज, जेएनएन : उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) परिसर में पेड़ों पर लटके नगाड़े किस उद्देश्य की पूर्ति कर रहे हैं, यह बात वहां अधिकारी भी नहीं जानते। कई साल पहले लटकाए गए यह नगाड़े अब कबाड़ हो चुके हैं। सांस्कृतिक केंद्र इनका रंग रोगन तक नहीं कराया जा रहा।
एनसीजेडसीसी के मुख्य गेट से भीतर घुसते ही पुराने विशाल पेड़ की एक डाल पर आपको कई नगाड़े लटकते हुए दिख जाएंगे। मुख्य भवन के इर्द-गिर्द लगे अन्य पेड़ पर भी ऐसे ही नगाड़े बंधे हुए मिलेंगे। भवन के पीछे क्राफ्ट मेला मैदान में मुक्ताकाशी मंच के सामने और आसपास लगे ताड़ व खजूर के पेड़ों में भी कुछ ऐसे ही दृश्य आपको विस्मित करेंगे। खास बात यह है कि इन पेड़ों पर कबाड़ हो चुके नगाड़ों के अलावा दूसरे कोई वाद्य यंत्र का प्रदर्शन नहीं है। यह स्थिति तब है जब एनसीजेडसीसी में हर साल शिल्प मेला लगता है और मंच पर सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। इस मेले में हजारों लोग शामिल होते हैं और विभिन्न प्रदेशों से कला प्रेमी भी आते हैं।
पेड़ों पर सिर्फ नगाड़े ही लटके होने और इनकी कबाड़ होती स्थिति पर एनसीजेडसीसी प्र्रशासन वाजिब जवाब नहीं दे सका। निदेशक इंद्रजीत ग्रोवर ने इतना जरूर बताया कि यह नगाड़े उनके कार्यकाल से पहले दिल्ली में राष्ट्रीय सांस्कृतिक मेले के समापन के बाद वहीं से लाए गए थे। दिल्ली भी एनसीजेडसीसी प्रयागराज की परिधि में आता है। अन्य लोक वाद्य यंत्रों को भी ऐसी ही तवज्जो देने के प्रश्न पर बताया कि केंद्र परिसर को लोक संस्कृतियों की पारंपरिक पहचान और कलाकृतियों से परिपूर्ण करने का प्रयास तेजी से किया जा रहा है। अगले माह से इसकी शुरुआत की जाएगी और आगामी छह महीने में काफी कुछ बदला-बदला सा नजर आएगा।
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