जजों की नियुक्ति न होने से मुकदमों के बोझ तले दबा इलाहाबाद हाईकोर्ट
फरवरी 2018 में हाईकोर्ट कोलेजियम ने 33 वकीलों के नाम नियुक्ति के लिए भेजे हैं। बाद में 15 जिला न्यायाधीशों के नाम भी भेजे गए हैं।
इलाहाबाद (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमों के निस्तारण में आई तेजी अब थम गई है। विचाराधीन मुकदमों की संख्या बढ़ रही है। इसकी वजह न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी और लगातार हो रही सेवानिवृत्ति मानी जा रही है। हालांकि फरवरी 2018 में हाईकोर्ट कोलेजियम ने 33 वकीलों के नाम नियुक्ति के लिए भेजे हैं। बाद में 15 जिला न्यायाधीशों के नाम भी भेजे गए हैं। कुल 48 नाम नियुक्ति के लिए सरकार व शीर्ष कोर्ट के पास विचाराधीन है। सरकार ने जांच प्रक्रिया पूरी कर ली है। अपनी रिपोर्ट के साथ सभी नाम को शीर्ष कोर्ट कोलेजियम को भेज दिया है।
इनमें से दो दर्जन नामों को ही केंद्र सरकार ने 'अप टू मार्क पाया है। अब शीर्ष कोर्ट को तय करना है कि कितने नाम नियुक्ति के लिए सरकार को भेजे जाएं। छह माह बीत जाने के बाद अभी निश्चित नहीं हो सका है कि कितने न्यायाधीश नियुक्त होंगे। इस साल यानी 2018 में कुल 26 न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो रहे है।
मुकदमों के आकड़े चौंकाने वाले
सरकारी आकड़े बताते हैं कि एक फरवरी 2018 को हाईकोर्ट में विचाराधीन मुकदमों की संख्या 910087 थी, जिसमें से 705078 इलाहाबाद व 205009 लखनऊ पीठ में विचाराधीन थे। न्यायाधीशों की कमी के चलते विचाराधीन मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
पहली बार 108 पहुंची थी संख्या
हाईकोर्ट के इतिहास में इस वर्ष पहली बार हुआ जब जजों की कुल संख्या सैकड़ा पार 108 तक पहुंची जो घटकर अगस्त 2018 में 90 हो गई है। दिसंबर तक आठ और न्यायाधीश सेवानिवृत्त होने हैं।
कुल 90 न्यायाधीश ही कार्यरत
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या 160 है। जिसमें इस समय 12 स्थायी व 58 अस्थायी यानी कुल 70 न्यायाधीशों के पद खाली हैं तथा 64 स्थायी व 26 अस्थायी, कुल 90 न्यायाधीश कार्यरत हैं। यही नहीं स्वीकृत संख्या 94 जजों वाले मुंबई (महाराष्ट्र) हाईकोर्ट के शीर्ष कोर्ट में तीन व दो मुख्य न्यायाधीश मिलाकर पांच न्यायाधीश शीर्ष पदों पर हैं। एशिया के सबसे बड़े हाईकोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विनीत सरन के शपथ के बाद शीर्ष कोर्ट में दो व हाईकोर्ट चीफ जस्टिस पर एक ही कार्यरत हैं।