वैष्णव अखाड़ों को नए घाट पर स्नान कराने की तैयारी, निर्मोही ने अस्वीकारा
प्रशासन की ओर से वैष्णव अखाड़ों को नए घाट पर शाही स्नान कराने की कवायद का निर्मोही अखाड़ा के संत ने अस्वीकार कर दिया है। प्रशासन पर उपेक्षा करने का आरोप लगाया।
कुंभ नगर : झूंसी की ओर बन रहे नए घाट पर अखाड़ों के शाही स्नान पर अभी विराम नहीं लगा है। अब अंदरखाने में वैष्णव अखाड़ों को इस घाट पर स्नान कराने की तैयारी चल रही है। हालांकि इस बात की भनक लगने पर वैष्णव संत इसके विरोध में खड़े हो गए हैं। कहा इस पर कोई समझौता नहीं होगा।
इस घाट को बहुत भव्य और विस्तार स्वरूप दिया जा रहा है। घाट को कुंभ का नाम दिया गया है। घाट पर मेला प्रशासन और अखाड़े विधिवत पूजन-अर्चना भी कर चुके हैं। घाट की भव्यता और लंबे विस्तार से अखाड़े गदगद थे, लेकिन उन्होंने यहां शाही स्नान से इन्कार कर दिया था। हालांकि मेला प्रशासन की पूजा-अर्चना की यह कवायद अखाड़ों को इस घाट तक ले जाने की थी, जो सफल रही थी।
निर्मोही के राजेंद्र दास ने कहा, समझौता नहीं होगा
निर्मोही अखाड़े के श्री महंत राजेंद्र दास ने साफ कह दिया है कि इसको लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। अखाड़ों को सेक्टर 16 में बसाए जाने के कारण संगम तक पांटून पुल के माध्यम से कैसे शाही सवारी पहुंचेगी इसको लेकर सवाल खड़ा हो गया था। पांटून पुल शाही स्नान के भारी भरकम रथों का बोझ सहन कर पाएगा कि नहीं इसे लेकर मेला प्रशासन परेशान है।
सेक्टर 17 नए घाट के लिए उपयुक्त
सेक्टर 17 में गंगा यमुना के बन रहे संगम के पाट पर नए घाट को इसके लिए उपयुक्त पाया गया। इसी जगह का काफी विस्तार देख कर घाट बनाने की कवायद शुरू हुई। यह भी प्रस्ताव आया कि वैष्णव अखाड़े नए घाट पर शाही स्नान कर लें। इससे समय का बंटवारा हो जाएगा और समय भी बचेगा। अखाड़ा परिषद के एक पदाधिकारी ने वैष्णव अखाड़े के महंत राजेंद्र दास से इस संबंध में बातचीत की तो वे नाराज हो उठे। उन्होंने इसे खारिज करते हुए कहा कि मेला प्रशासन का ध्यान कुछ चुनिंदा अखाड़ों पर ही केंद्रित है। वैष्णव अखाड़ों की सुविधाओं एवं उनके शिविरों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अब उन्हें दूसरे घाट पर भेजे जाने का कुचक्र रचा जा रहा है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने ऐसी किसी योजना को खारिज किया था
जगन्नाथधाम आश्रम के शिविर में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के कार्यक्रम में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने ऐसी किसी योजना को सिरे से खारिज कर दिया था। मेला प्रबंधन से जुड़े अफसर इस संबंध में सीधे तौर पर कुछ कहने से बच रहे हैं।