निर्मला ने आपदा में तलाशा अवसर, हिम्मत के बूते गढ़ी सफलता की कहानी और दूसरों को भी बनाया आत्मनिर्भर
कोरोना काल में आज जब लोग बेरोजगारी से जूझ रहे हैं तब प्रतापगढ़ जनपद के कुंडा तहसील क्षेत्र के सुजौली गांव निवासी निर्मला विमला राजपति लालती देवी सुशीला सरिता गुडिय़ा प्रीति पुष्पा और उर्मिला देवी कड़ी मेहनत व जज्बे से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में जुटी हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना काल में जहां एक ओर हजारों लोग महानगरों की नौकरी छोड़कर अपने घरों को लौट चुके हैं वहीं आजीविका मिशन ने ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को उनके घर में रोजगार उपलब्ध करा दिया है। ग्रामीण इलाकों की कुछ महिलाएं न सिर्फ इस योजना के जरिए आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि औरों को भी रोजगार उपलब्ध करा रही हैं। वे गांव में ही बाध बनाकर दुकानदारों को अच्छे दामों पर बेच अपनी आर्थिक स्थिति को और बेहतर बना रही हैं।
बेरोजगारी की समस्या से महिलाओं ने पाया छुटकारा
कोरोना काल में आज जब लोग बेरोजगारी से जूझ रहे हैं, तब प्रतापगढ़ जनपद के कुंडा तहसील क्षेत्र के सुजौली गांव निवासी निर्मला, विमला, राजपति, लालती देवी, सुशीला, सरिता, गुडिय़ा, प्रीति, पुष्पा, और उर्मिला देवी, कड़ी मेहनत व जज्बे से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में जुटी हैं। कोरोना काल में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आज घर की आर्थिक स्थिति में बराबर की भागीदारी कर रही हैं। वहीं इस संकट की घड़ी में दूसरों को भी रोजगार मुहैया कराने में सफल हो रही हैं। निर्मला बताती हैं कि दो दशक पहले चारपायी तैयार करने समेत अन्य काम में इस्तेमाल होने वाले बाध को बनाने का कार्य हमारा मुख्य व्यापार था। मगर बाध की खपत कम होने पर धीरे-धीरे यह व्यापार समाप्त हो चुका था, लेकिन इस आपदा में कुछ व्यापारियों ने बाध की मांग की, तो फिर क्या था। हुनर अपने हाथ में था ही, इस आपदा में हमने बाध बनाने का काम चालू कर दिया।
घर आकर ले जाते हैं व्यापारी बाध
अब हम लोगों को बाजार का चक्कर भी नहीं काटना पड़ता, व्यापारी घर से ही अच्छे दामों में ले जाते हैं। प्रदेश सरकार की आजीविका मिशन से जुड़ी इन महिलाओं ने समूह बना दर्जनों महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया है। कुंडा ब्लॉक के सुजौली ग्राम सभा की इन महिलाओं ने आत्मनिर्भर बन आपदा में भी रोजगार तलाशने का काम किया है। इस आत्मनिर्भरता का पूरा श्रेय ये महिलाऐं अपने पूर्वजों को देती हैं, जिनका हुनर आज इस कोरोना संकट में इन महिलाओं के लिए किसी वैक्सीन से कम नहीं। अब यह काम धीरे-धीरे पूरे गांव में शुरु होने लगा है। कोरोना कर्फयू का दंश झेल रहे उन परिवार के लोगों के लिए जीविका का सहारा बन गया है, जो कोरोना संकट के कारण महानगरों से काम छोड़कर गांव चले आए थे।