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Allahabad High Court: ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी मामले में हाई कोर्ट में 5 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई

इलाहाबाद हाई कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा कि श्रृंगार गौरी की पूजा नियमित तौर पर नहीं होती रही। साल भर में एक दिन ही होती रही है। अब स्थान बदला जा रहा है जिससे धार्मिक चरित्र प्रभावित होगा।

By Jagran NewsEdited By: Brijesh SrivastavaPublished: Wed, 30 Nov 2022 07:51 PM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2022 07:51 PM (IST)
Allahabad High Court: ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी मामले में हाई कोर्ट में 5 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा के आदेश के खिलाफ याचिका दायर है।

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा के आदेश के खिलाफ याचिका की सुनवाई जारी है। 29 नवंबर के बाद आज 30 नवंबर को भी सुनवाई हुई। अब अगली सुनवाई सोमवार 5 दिसंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने दिया है। न्‍यायमूर्ति जेजे मुनीर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका की सुनवाई कर रहे हैं।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर है याचिका : इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा मामले में मुस्लिम पक्ष की आपत्ति वाराणसी की अदालत ने खारिज की थी। इस आदेश की वैधता को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है।

अधिवक्‍ता एसएफए नकवी ने दिया तर्क : वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा कि श्रृंगार गौरी की पूजा नियमित तौर पर नहीं होती रही। साल भर में एक दिन ही होती रही है। अब स्थान बदला जा रहा है, जिससे धार्मिक चरित्र प्रभावित होगा। जो प्लेसेस आप वर्शिप एक्ट 1991 की धारा 4 के तहत नहीं किया जा सकता।

म‍ंदिर पक्ष के वकील ने कहा : मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का कहना है कि 15 अगस्त 1947 से पहले से श्रृंगार गौरी की पूजा होती रही है। अभी भी हो रही है। इसलिए इस मामले में प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट की धारा 4 (1) लागू नहीं होगी। पूजा से स्थान का धार्मिक चरित्र नहीं बदलेगा। स्कंद पुराण में भी मंदिर का विस्तृत उल्लेख है। पूरी ईमानदारी से मुकदमे को लिखा गया है। पहले से हो रही पूजा को रोकने के खिलाफ वाद दायर किया गया है।


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