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Navratri 2022: अबकी हाथी पर सवार होकर आएंगी मां, भक्तों को मिलेगी सुख-समृद्धि, जानें पूजन विधि

सोमवार को नवरात्र शुरू होने के कारण मां भगवती का वाहन हाथी है। मइया की विदाई भी हाथी पर होगी। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार प्रतिप्रदा तिथि रविवार की रात 3.25 बजे लगकर सोमवार की रात 3.22 बजे तक रहेगी। सोवार की सुबह 7.04 बजे हस्त नक्षत्र लगेगा।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sat, 24 Sep 2022 07:05 AM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2022 07:05 AM (IST)
सोमवार के दिन नवरात्र शुरू होने के कारण मां भगवती का वाहन हाथी है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। मां भगवती का स्तुति पर्व शारदीय नवरात्र आश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर से आरंभ होगी। अबकी नवमी व दशमी तिथि का संयोग एक साथ पड़ रहा है। इसी कारण चार अक्टूबर को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।

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-चार अक्टूबर को नवमी व दशमी तिथि का होगा पूजन

सोमवार के दिन नवरात्र शुरू होने के कारण मां भगवती का वाहन हाथी है। मइया की विदाई भी हाथी पर होगी। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार प्रतिप्रदा तिथि रविवार की रात 3.25 बजे लगकर सोमवार की रात 3.22 बजे तक रहेगी। सोवार की सुबह 7.04 बजे हस्त नक्षत्र लगेगा। घट स्थापना का ब्राह्म मुहूर्त में सुबह पांच से 7.38 बजे तक है, जबकि अभिजित मुहूर्त सुबह 11.37 से दोपहर 12.24 तक है।

बताते हैं कि मां के हाथी में बैठकर आने से फसल अच्छी होगी। समाज में सुख-समृद्धि आएगी। वहीं, चार अक्टूबर की दोपहर 1.33 बजे से दशमी तिथि लगकर पांच अक्टूबर को सुबह 11.09 बजे तक रहेगी। शाम को दशमी तिथि रहने पर ही दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इसी कारण चार अक्टूबर को सुबह नवमी व शाम को दशमी का पूजन होगा।

मां दुर्गा के वाहन का महत्व

पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार नवरात्र पर स्वर्ग से पृथ्वीलोक में माता का आगमन होता है। मइया घर-घर भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं। देवी भागवत पुराण में माता के आगमन व उनकी सवारी का विस्तार से वर्णन है। सोमवार व रविवार काे हाथी, शनिवार व मंगलवार को घोड़ा, शुक्रवार व गुरुवार को डोली व बुधवार के दिन नवरात्र के आरंभ होने पर मइया का वाहन नौका होती है।

नौ दिनों में देवियों बीज मंत्र

-मां शैलपुत्री का ह्रीं शिवायै नम:।

-मां ब्रह्मचारिणी का ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।-मां चंद्रघंटा का चंद्रघण्टा ऐं श्रीं शक्तयै नम:।

-मां कूष्मांडा का ऐं ह्री देव्यै नम:।

-मां स्कंदमाता का ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।

-मां कात्यायनी का क्लीं श्री त्रिनेत्राय नम:।

-मां कालरात्रि का क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।-मां महागौरी को श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

-मां सिद्धिदात्री का ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

क्या करें क्या न करें

नवरात्र सात्विक भोजन, साफ़ सफाई, देवी आराधना, भजन-कीर्तन, जगराता, मंत्र, देवी आरती प्याज, लहसुन, शराब, मांस-मछली का सेवन, लड़ाई, झगड़ा, कलह, कलेश, काले कपड़े और चमड़े की चीजें न पहने,  दाढ़ी,बाल और नाखून न काटें।


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