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Navratri 2022: मां महागौरी के साथ पूजी गईं कन्याएं, अलोपशंकरी, कल्याणी, ललिता देवी मंदिर में जुटे भक्त

मां भगवती का स्तुति पर्व नवरात्र का अंतिम पड़ाव आ गया है। बचे समय में मइया की कृपा प्राप्ति को हर जतन कर रहे हैं। सोमवार को अष्टमी तिथि पर मां के महागौरी स्वरूप का पूजन हुआ। दुर्गा सप्तशती का पाठ करके देवी स्वरूप कन्याओं का पूजन किया गया

By Sharad DwivediEdited By: Ankur TripathiPublished: Mon, 03 Oct 2022 05:42 PM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2022 05:42 PM (IST)
Navratri 2022: मां महागौरी के साथ पूजी गईं कन्याएं, अलोपशंकरी, कल्याणी, ललिता देवी मंदिर में जुटे भक्त
मां अलोपशंकरी मंदिर के पालने को पुष्प व पत्तियों से सजाकर महागौरी स्वरूप का पूजन किया गया

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। मां भगवती का स्तुति पर्व नवरात्र का अंतिम पड़ाव आ गया है। बचे समय में मइया की कृपा प्राप्ति को हर जतन कर रहे हैं। सोमवार को अष्टमी तिथि पर मां के महागौरी स्वरूप का पूजन हुआ। दुर्गा सप्तशती का पाठ करके देवी स्वरूप कन्याओं का पूजन किया गया। व्रती साधक मां के नौ स्वरूप की प्रतीक नौ कन्याओं के पांव में महावर लगाकर उनका पूजन करके फल, मिष्ठान खिलाकर आशीर्वाद लिया। व्रत रखने वाले काफी लोगों ने हवन भी किया।

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मां अलोपशंकरी मंदिर के पालने को पुष्प और पत्तियों से सजाकर पूजन

दुर्गा मंदिरों में मइया के महागौरी स्वरूप का श्रृंगार व पूजन किया गया। मां अलोपशंकरी मंदिर के पालने को पुष्प व पत्तियों से सजाकर महागौरी स्वरूप का पूजन किया गया। प्रबंधक श्रीमहंत यमुना पुरी ने मंत्रोच्चार के बीच पालने की आरती उतारकर जनकल्याण की कामना की। मां कल्याणीदेवी मंदिर में सुशील पाठक व श्याम जी पाठक ने विधि-विधान से मइया का श्रृंगार करके आरती उतारी।

इसी प्रकार मां ललिता देवी मंदिर में मइया का रत्नजडि़त आभूषणों से श्रृंगार हुआ। मंदिर समिति के अध्यक्ष हरिमोहन वर्मा व महामंत्री धीरज नागर ने पूजन करके जनकल्याण की कामना की। मां खेमा मायी व मां काली बाड़ी मंदिर के पूजारियों ने भी विधि-विधान से श्रृंगार करके मइया की आरती उतारी।

कल नवमी व दशमी का पूजन

ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के नअुसार चार अक्टूबर की दोपहर 1.33 बजे से दशमी तिथि लगकर पांच अक्टूबर को सुबह 11.09 बजे तक रहेगी। दशमी तिथि शाम को रहने पर ही दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इसी कारण चार अक्टूबर को सुबह नवमी व शाम को दशमी का पूजन करना उचित रहेगा।


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