ई-टेंडरिंग से छिन गया निषाद मछुआ समुदाय का पुश्तैनी पेशा, बोले निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव
राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव लौटन लाल निषाद ने प्रयागराज प्रवास के दौरान कहा कि बालू मोरंग खनन व निकासी के काम में पुश्तैनी पेशेवर जातियों को प्राथमिकता दी जाती रही है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने ई-टेंडरिंग की व्यवस्था कर इसे भी छीन लिया।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। निषाद मछुआ समुदाय की जातियों का परंपरागत पुश्तैनी पेशा मत्स्य पालन, मत्स्याखेट व शिकारमाही, बालू मोरम खनन, नौका फेरी, सिंघाड़ा खेती आदि के साथ नदियों के कछार में जायद की खेती है। इस पर किसी न किसी रूप में माफिया का कब्जा हो गया है। सरकार की गलत नीतियों के कारण मत्स्यजीवी समुदाय अपने पुश्तैनी पेशों से बेदखल हो गया है। यह कहना है राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटनराम निषाद का।
राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव ने यह भी कहा
प्रयागराज प्रवास के दौरान उन्होंने कहा कि बालू, मोरंग खनन व निकासी के काम में पुश्तैनी पेशेवर जातियों को प्राथमिकता दी जाती रही है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने ई-टेंडरिंग की व्यवस्था कर इसे भी छीन लिया। विधान सभा चुनाव-2022 में निषाद जातियों को अपने पाले में करने के लिए सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस अपने अपने तरीके से हाथ पैर मार रही हैं। जब प्रयागराज के बसवार गांव में स्थानीय भाजपा नेताओं व बालू माफियाओं के इशारे पर पुलिस ने कहर बरपाया व निषादों की नावों को तोड़ डाला, तब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बसवार जाकर संवेदना व्यक्त की। निषादों की तोड़ी गयी नावों की मरम्मत के लिए आर्थिक मदद दीं। गोरखपुर की रैली में प्रियंका ने निषादों को जोड़ने के लिए कहा कि-नावें निषादों की मां है। कांग्रेस सरकार बनने पर निषादों का अधिकार दिलाया जाएगा। प्रियंका ने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने पर गोरखपुर में नाथ पंथ के संस्थापक मत्स्येंद्रनाथ जी के नाम विश्वविद्यालय बनवाया जाएगा।
हर दल निषाद मतदाताओं को रिझाने का कर रहे प्रयास
बताते चले कि गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ धीवर/निषाद जाति के थे। सभी दल निषाद जातियों की अहमियत को समझ रहे हैं, सो हर दल निषाद मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा दावे तो कर रही है अभी उनके कार्यों से निषाद के हित दिख नहीं रहे हैं। इस दिशा में और प्रयास करने की जरूरत है। अन्य दल भी लाभ लेना चाहते हैं लेकिन निषाद समुदाय के दुख में खड़े होने के लिए काेई भी तैयार नहीं है।