कुंभ में श्रद्धालुओं को लुभाएगा प्रतापगढ़ के आंवले का मुरब्बा
प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले में दूर-दूर से आने वाले स्नानार्थियों को प्रतापगढ़ के आंवले का मुरब्बा लुभाएगा। इसके लिए खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी में स्टाल लगाए जाएंगे।
प्रयागराज : अमृत फल माने जाने वाले आंवले से प्रतापगढ़ की पहचान है। यहां की मिट्टी आंवले के लिए सर्वाधिक अनुकूल है। इसके चलते यहां का आंवला देश के अन्य हिस्सों में होने वाले आंवले से आकार में बड़ा व गुणों में विशेष होता है। आंवले के प्रोडक्ट इस बार प्रयागराज में आयोजित वाले कुंभ मेले में श्रद्धालुओं को लुभाएंगे। प्रतापगढ़ जिले की कई आंवला इकाइयों के स्टाल कुंभ मेले के तहत प्रयाग में लगेंगे। दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को इन स्टालों पर आंवले का लड्डू, बर्फी, कैंडी, मुरब्बा, अचार व जूस आदि आसानी से मिल सकेगा। उद्यान विभाग ने इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी है।
अमृत फल का दर्जा प्राप्त आंवला वैसे तो कई स्थानों पर होता है लेकिन जो विशेषता प्रतापगढ़ के आंवले में है, वह और कहीं नहीं है। देखा जाए तो जिले के सात हजार हेक्टेयर क्षेत्र में आंवले की उपज होती है। पट्टी, सदर और संडवा चंद्रिका ब्लाक के कमास, गोड़े, बेनीपुर, लोहंगपुर, गोबरी, पारा समेत कई गांवों में बड़े पैमाने पर इसकी बागवानी होती है। इनमें प्रतिवर्ष लगभग 35 हजार एमटी आंवले का उत्पादन होता है। इनमें देशी, चकैया जैसी कई किस्मों के आंवले होते हैं।
प्रतापगढ़ का आंवला अपने आप में अनूठा होने के चलते इसकी मांग च्यवनप्राश बनाने वाली नामी गिरामी कंपनियों में रहती है। गत वर्ष 700 से 800 रुपये प्रति कुंतल की दर से यहां का आंवला बिका था। उद्यान विभाग के मुताबिक जिले में 35 आंवले की खाद्य प्रसंस्करण की इकाइयां हैं। इनमें से आधा दर्जन इकाइयों के उत्पाद प्रयागराज के कुंभ मेले में लगने वाले खादी ग्रामोद्योग विभाग की प्रदर्शनी में लगेंगे।
प्रयागराज में होने वाले कुंभ मेले में खादी ग्रामोद्योग की प्रदर्शनी में प्रतापगढ़ के आंवले का उत्पाद भी रहेगा। जिले की छह इकाइयां अपने उत्पाद वहां रखेंगी। इसके लिए तैयारी चल रही है। इकाइयों के प्रमुखों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं।
-रणविजय ङ्क्षसह, जिला उद्यान अधिकारी प्रतापगढ़