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कुंभ बीतने की ओर फिर भी शहर में ही जमे रहे बेसहारा मवेशी

कुंभ मेला शुरू होने से पूर्व प्रयागराज आगमन के दौरान सीएम ने बेसहारा मवेशियों को शहर से बाहर करने का आदेश दिया था। अभी तक नगर निगम ऐसा नहीं कर सका है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 26 Feb 2019 07:24 PM (IST)Updated: Wed, 27 Feb 2019 10:47 AM (IST)
कुंभ बीतने की ओर फिर भी शहर में ही जमे रहे बेसहारा मवेशी

प्रयागराज : कुंभ मेला अब अंतिम दौर में पहुंच गया है। चार मार्च को स्नान पर्व महाशिवरात्रि के साथ मेले का समापन हो जाएगा। फिर भी शहर में बेसहारा मवेशियों की समस्या जस की तस बनी हुई है। वह शहर में ही जमे हैं। पशुपालक मवेशियों को खुला छोड़ दे रहे हैं, जो सड़कों पर बेसहारा घूम रहे हैं। इन मवेशियों की वजह से सड़कों पर गंदगी के साथ साथ हादसे भी हो रहे हैं, लेकिन नगर निगम बेसहारा मवेशियों को शहर के बाहर करने में नाकाम साबित हो रहा है।

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कुंभ से पूर्व यहां आए सीएम ने दिया था आदेश

कुंभ मेला शुरू होने के पहले आठ जनवरी को प्रयागराज में तैयारी का निरीक्षण करने आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रात में बैरहना चौराहे पर मवेशियों को घूमते देखकर नाराजगी जताई थी। उन्होंने नगर आयुक्त को मेला शुरू होने के पहले इन मवेशियों को शहर के बाहर बनी कैटिल कॉलोनी या कान्हा गोशाला में भेजने का आदेश दिया था। मुख्यमंत्री ने नगर आयुक्त से यह भी कहा था कि बेसहारा मवेशियों को शहर के बाहर करने के लिए नगर निगम को  10 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अब जबकि मेला समाप्त होने को है, मवेशी उसी तरह शहर की सड़कों पर घूम रहे हैं।

नगर निगम ने पकड़ा तो पशुपालकों ने जुर्माना भर छुड़ा लिया

हालांकि मेला अवधि में नगर निगम ने बेसहारा मवेशियों को पकडऩे के लिए अभियान चलाया। बड़ी संख्या में मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस में बंद भी किया लेकिन पशुपालकों ने हर बार जुर्माना भरकर मवेशियों को छुड़ा लिया और फिर वही ढर्रा, दुहाई के बाद मवेशियों को छोड़ देना शुरू हो गया।

शहर के बाहर नहीं जाना चाहते पशुपालक

नगर निगम ने नैनी और फाफामऊ में करीब छह वर्ष पहले भले कैटिल कॉलोनी बना दी और वहां सर्किल रेट से आधी कीमत पर जमीन आवंटित करने की योजना बना ली लेकिन पशुपालक मवेशियों को शहर के बाहर ले जाने को कतई तैयार नहीं हैं। शहर के तकरीबन हर मोहल्ले में पशुपालक मौजूद हैं। ज्यादातर के पास मवेशियों को रखने के लिए जगह नहीं है सो वे उन्हें सड़क, गली में बांधकर दुहाई करते हैं। शहर के बीच में होने के कारण इनके बड़ी संख्या में ग्र्राहक भी हैं, जो सामने दुहाई कराके दूध लेते हैं। ऐसे में शहर के बाहर मवेशियों को ले जाने का सीधा असर धंधे पर पड़ेगा।

बेसहारा मवेशियों के लिए बारा में बन रही कान्हा गोशाला

शहर की सड़कों पर छुïट्टा घूमते मवेशियों के लिए नगर निगम बारा तहसील के जनवा गांव में कान्हा गोशाला बनवा रहा है। इसमें मवेशियों के खाने-पीने, इलाज आदि का भी इंतजाम होगा। पशुधन अधिकारी ने बताया कि प्रदेश सरकार ने गोशाला के लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित किया था, जिसमें से 7.52 करोड़ की लागत से निर्माण हो रहा है। पहली किस्त के रूप में 1.50 करोड़ रुपये मिल गए हैं।

बोले अधिकारी, आरसी जारी अब होगी वसूली

नगर निगम के पशुधन अधिकारी धीरज गोयल कहते हैं कि पशुपालक कैटिल कॉलोनी में जाना नहीं चाहते। पहले कहा कॉलोनी बनाओ, उसके बाद कीमत आधी करने को कहा, वह भी कर दिया गया लेकिन उनकी कैटिल कॉलोनी में कोई रुचि नहीं है। ऐसे में सख्ती की जा रही है। मवेशियों को खुला छोड़ देने वाले पशुपालकों को नोटिस दी जा रही है। एफआइआर के साथ 10 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया। करीब आठ माह पहले अंतिम कारण बताओ नोटिस जारी किया। इस पर भी कोई असर न होने पर डीएम के माध्यम से आरसी भी जारी की गई है। पशुपालक आरसी के खिलाफ न्यायालय में गए। वहां से मुकदमा खारिज कराया गया। आरसी पर अमीनों को वसूली करनी है। यह काम शुरू हो जाए तो पशुपालक शहर के बाहर चले जाएंगे।

खास बातें

- 08 हजार से अधिक है पशुपालक शहर के विभिन्न इलाकों में

-10 करोड़ करोड़ रुपये मिले कुंभ के पहले मवेशियों को शहर के बाहर करने को

-07 हेक्टेयर जमीन पर बारा के जनवा गांव में बन रही कान्हा गोशाला

-7.52 करोड़ की लागत से हो रहा कान्हा गोशाला का निर्माण


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