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ड्रोन से होगी टिड्डी दल की निगरानी और छिड़काव, चेन्नई की कंपनी के संपर्क में प्रयागराज कृषि विभाग के अधिकारी

ड्रोन सुलभ कराने वाली चेन्नई की कंपनी का दावा है कि आर्डर मिलते ही इसे सुलभ करा दिया जाएगा। उप निदेशक (कृषि) विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि चक्रवात टाक्टे से खतरा कम हो गया है लेकिन प्रयागराज समेत प्रदेश के कुछ जिले अलर्ट मोड में रखे गए हैैं।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Sun, 23 May 2021 07:30 AM (IST)Updated: Sun, 23 May 2021 07:30 AM (IST)
ड्रोन से होगी टिड्डी दल की निगरानी और छिड़काव, चेन्नई की कंपनी के संपर्क में प्रयागराज कृषि विभाग के अधिकारी
टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए ड्रोन के इस्तेमाल से सहूलियत मिलेेगी।

प्रयागराज, [अतुल यादव]। पहली बार संगमनगरी में टिड्डी दल की निगरानी और उन पर नियंत्रण के लिए ड्रोन का सहारा लिया जाएगा। ड्रोन से ही रात  में दवाओं का छिड़काव भी कराया जाएगा। कृषि विभाग के अधिकारियों ने इसके लिए चेन्नई स्थित कंपनी से बात कर ली है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही आर्डर भी दे दिया जाएगा।

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टिड्डी दल के खात्मे के लिए ड्रोन के जरिए आठ घंटे में करीब 50 एकड़ क्षेत्रफल में दवा का छिड़काव किया जा सकता है। ड्रोन का किराया करीब 700 रुपयेे प्रति एकड़ पड़ेगा।

ड्रोन सुलभ कराने वाली चेन्नई की कंपनी का दावा है कि आर्डर मिलते ही न्यूनतम समय में इसे सुलभ करा दिया जाएगा। उप निदेशक (कृषि) विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि चक्रवात टाक्टे की वजह से खतरा कम हो गया है, लेकिन प्रयागराज समेत प्रदेश के कुछ जिले अलर्ट मोड में रखे गए हैैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन की तरफ से जारी पूर्वानुमान में एक बार फिर टिड्डी दल के हमले की आशंका जताई गई है। वर्ष 2020-21 में भी राजस्थान व मप्र के रास्ते संगमनगरी पहुंचे टिड्डी दलों ने आठ सौ पेड़ों की पत्तियां चट करने के अलावा सब्जियों की फसल चट कर दी थी। कृषि निदेशक डॉ. एपी श्रीवास्तव ने इस संबंध में पत्र भेजा है। पिछली साल नौ जून को पहला टिड्डी दल कोरांव में दिखा था। यह एक किमी चौड़ा व तीन किमी लंबा था। दूसरा झुंड करीब 10 दिन बाद शंकरगढ़ में दिखा। तीसरा दल कुछ दिनों के अंतराल बाद बहादुरपुर में आया।

ड्रोन के इस्तेमाल से मिलेगी सहूलियत

टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए ड्रोन के इस्तेमाल से सहूलियत मिलेेगी। एक बार चार्जिंग के बाद 20 मिनट तक ड्रोन काम करता है। बैकअप के लिए ऑपरेटर छोटी-छोटी बैटरी साथ रखते हैं। इसमें 12 लीटर की टंकी होती है, जिसमें छिड़काव के लिए रासायनिक पाउडर व पानी का मिश्रण होता है। करीब 10 से 15 मीटर स्क्वायर क्षेत्रफल में नोजल से छिड़काव किया जाता है। ड्रोन अधिकतम 400 मीटर ऊंचाई तक पहुंचकर काम करता है।

ग्रामीणों को करेंगे जागरूक 

जिला कृषि रक्षा अधिकारी इंद्रजीत यादव के अनुसार ग्रामीणों को भी जागरूक किया जाएगा। टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए मैलाथियान 96 फीसद यूएलवी का छिड़काव ज्यादा प्रभाव होता है। टिड्डी नियंत्रण संगठन, फरीदाबाद (हरियाणा) की टीम अल्ट्रा लो वॉल्यूम मशीनों से भी रसायन का छिड़काव करेगी। ताली-थाली बजाने के साथ ही शोर मचाकर भगाने का तरीका बताया जाएगा। टीम भी गठित की जा रही है। उप निदेशक कृषि विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि टिड्डी दल पर रसायन का छिड़काव करने के लिए ड्रोन का सहारा लेने पर विचार किया जा रहा है। चेन्नई की निजी कंपनी से बात भी की गई है। जरूरत पडऩे पर आर्डर दिया जाएगा।


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