मॉडुलर तकनीक से होगा नालों के पानी का शोधन
झूंसी क्षेत्र के नालों के पानी के शोधन की जिम्मेदारी नागपुर के संस्था नीरी को दी गई है। नैनी और शहर के नालों के पानी के शोधन का दायित्व गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को सौंपा गया है।
प्रयागराज: कुंभ मेले के दौरान नालों का पानी अच्छे से शोधित होने के बाद गंगा और यमुना में गिरे, इसके लिए नई तकनीक मॉडुलर का इस्तेमाल किया जाएगा। प्रमुख सचिव (नगर विकास विभाग) मनोज कुमार सिंह ने इसी तकनीक से नालों के पानी का शोधन करने के निर्देश गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अधिकारियों को दिए हैं।
प्रमुख सचिव दो दिन रहकर नैनी, झूंसी और शहर के करीब चार दर्जन ऐसे नालों का निरीक्षण किया, जो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों से जुड़े नहीं हैं। इन नालों का गंदा पानी गंगा और यमुना में गिर रहा है। इससे गंगा का पानी भी प्रदूषित हो रहा है। अब झूंसी क्षेत्र के नालों के पानी के शोधन की जिम्मेदारी नागपुर की संस्था नीरी को दी गई है। नैनी और शहर के नालों के पानी के शोधन का दायित्व गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को सौंपा गया है। वहीं, शुक्रवार को प्रमुख सचिव ने कोडरा, पोंगहट, नुमैयाडाही, राजापुर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों (एसटीपी), चिल्ला सीवरेज पंपिंग स्टेशन और सदर बाजार नाले का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान कोडरा, पोंगहट और नुमैयाडाही एसटीपी में उन्हें शोधित जल की गुणवत्ता अच्छी मिली। राजापुर एसटीपी के मरम्मत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। ताकि कुंभ के पहले यह एसटीपी भी पूरी क्षमता से काम करने लगे। निरीक्षण के दौरान इकाई के महाप्रबंधक पीके अग्रवाल, प्रोजेक्ट मैनेजर मो. लुकमान के अलावा कई अधिकारी मौजूद रहे। मॉडुलर तकनीक में जियो ट्यूब का प्रयोग :
महाप्रबंधक ने बताया कि मॉडुलर तकनीक में जियो ट्यूब का इस्तेमाल होता है। इससे पानी छनकर जाएगा। जियो ट्यूब से पानी बिल्कुल फिल्टर हो जाता है।