मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का बारा पावर प्लांट से करार, ग्रीन पर्यावरण की मुहिम
एमएनएनआइटी के निदेशक ने बताया कि प्लांट में कोयले का इस्तेमाल किया जाता है। इससे निकलने वाले धुएं और राख से पर्यावरण काफी प्रदूषित हो जाता है। ऐसे में अब एमएनएनआइटी के विशेषज्ञों की मदद से प्रदूषण को रोकने की कवायद की जाएगी। इसमें संस्थान तकनीकी तौर पर मदद करेगा।
प्रयागराज, [गुरुदीप त्रिपाठी]। देश के नामी तकनीकी संस्थानों में शुमार मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) ने बारा स्थित प्रयागराज पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड (पीपीजीसीएल) के साथ मेमोरंडम आफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) करार किया है। इसके तहत अब तीन साल तक दोनों संस्थान मिलकर कार्य करेंगे। साथ ही एमएनएनआइटी के भावी टेक्नोक्रेट्स नए तरह के शोध भी करेंगे। पर्यावरण प्रदूषण रोकने की भी कवायद की जाएगी।
प्लांट में कोयले से निकलने वाले धुएं व राख के प्रदूषण को रोकेगा
एमएनएनआइटी के निदेशक प्रोफेसर राजीव त्रिपाठी ने बताया कि प्लांट के निदेशक बृजेश सिंह की मौजूदगी में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। प्रोफेसर त्रिपाठी ने बताया कि प्लांट में कोयले का इस्तेमाल किया जाता है। इससे निकलने वाले धुएं और राख से पर्यावरण काफी प्रदूषित हो जाता है। ऐसे में अब एमएनएनआइटी के विशेषज्ञों की मदद से प्रदूषण को रोकने की कवायद की जाएगी। इसमें संस्थान तकनीकी तौर पर मदद करेगा।
नए उत्पाद तैयार करने में काफी हद तक कामयाबी मिलेगी
इसके अलावा प्लांट में स्थापति डेटा सेंटर को हाईटेक बनाया जाएगा। संस्थान को बेहतर निर्णय लेने योग्य बनाने को वहां आर्टिफिशियल इंटलीजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स और रोबोटिक्स की सुविधा दी जाएगी। एमओयू से उम्मीद जताए जा रहे हैं कि प्लांट में प्रयोगात्मक तरीके से शोध करने से संस्थान को नई तकनीकी खोजने में और प्लांट को नए उत्पाद तैयार करने में काफी हद तक कामयाबी मिलेगी।
प्लांट के उत्पाद की गुणवत्ता भी एमएनएनआइटी परखेगी
खास बात यह है कि इस एमओयू से नए तरह के व्यावसायिक पाठ्यक्रम डिजाइन करने में भी सहूलियत मिलेगी। प्लांट की सहमति पर उनके द्वारा तैयार किए गए उत्पाद की गुणवत्ता भी एमएनएनआइटी परखेगी। एमओयू के मुताबिक संस्थान के शिक्षक प्लांट की तकनीकी तौर पर मदद करेंगे। साथ ही बतौर विशेषज्ञ प्लांट को अपनी सेवाएं देंगे। इसके एवज में प्लांट की तरफ से एमएनएनआइटी के भावी टेक्नोक्रेट्स और शिक्षकों को उद्योग का अनुभव साझा किया जाएगा। प्लांट के प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी संस्थान के छात्रों और शिक्षकों को नए तरह के शोध करने में भी मदद करेंगे।
2018 में टाटा ने खरीद लिया था पावर प्लांट
बारा तहसील क्षेत्र के मिश्रा का पुरवा स्थित पीपीजीसीएल ने वर्ष 2010 में पावर प्लांट का निर्माण शुरू किया था। यह वर्ष 2015 में पूरा हो गया। उस साल प्लांट में विद्युत उत्पादन भी शुरू हो गया। प्लांट में 660 मेगावाट की तीन यूनिट स्थापित की गई है। तीनों से उत्पादन भी हो रहा है। बावजूद इसके जेपी ग्रुप कई राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिए कर्ज को चुका नहीं पा रहा था। यह सारे कर्ज स्टेट बैंक आफ इंडिया की जिम्मेदारी पर लिए गए थे। कर्ज वापस न होने की स्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप करने पर एसबीआइ ने प्लांट का संचालन अपने हाथ में ले लिया था। 2018 में इस प्लांट की नीलामी के लिए निविदाएं आमंत्रित की गईं थीं। जिसमें टाटा, अडानी और जिंदल समूह ने भागीदारी की। टाटा ग्रुप ने अडानी और जिंदल ग्रुप की दावेदारी को पछाड़ते हुए यह अधिकार हासिल कर लिया था।