संतों में सुलह के लिए जुटे मंत्री, सांसद और राजनेता
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को लेकर चल रही खींचतान खत्म कराने की दिशा में अब राजनेताओं ने प्रयास शुरू कर दिए हैं।
शरद द्विवेदी, प्रयागराज : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को लेकर चल रही खींचतान खत्म कराने की दिशा में मंत्री, सांसद से लेकर विभिन्न दलों के नेता भी सक्रिय हो चले हैं। केंद्र में राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, सांसद सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज असमंजस में हैं। निरंजन ज्योति निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर हैं, जबकि साक्षी महाराज निर्मल अखाड़े के महामंडलेश्वर। निर्मल व निर्मोही अखाड़े में दो गुट हैं। इधर, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविद्र पुरी (श्रीनिरंजनी अखाड़ा) को अखाड़ा परिषद अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई दी है। यह एक तरह से उनको मान्यता है।
महंत नरेंद्र गिरि की 20 सितंबर को मृत्यु के बाद अखाड़ा परिषद अध्यक्ष पद को लेकर खींचतान की स्थिति बनी। नए अध्यक्ष का चयन करने के लिए 25 अक्टूबर को यहां दारागंज स्थित श्री निरंजनी अखाड़ा के मुख्यालय में बैठक आहूत की गई थी। इससे पहले 20 अक्टूबर को हरिद्वार के कनखल स्थित श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा में सात अखाड़ों ने बैठक कर नई कार्यकारिणी गठित कर ली। श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रविद्र पुरी अध्यक्ष, निर्मोही अनी अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास को महामंत्री चुन लिया। पूर्व घोषणा के अनुरूप प्रयागराज में हुई बैठक में श्री निरंजनी अखाड़ा के अध्यक्ष/सचिव श्रीमहंत रविद्र पुरी अध्यक्ष चुने गए। उन्हें आठ अखाड़ों का समर्थन मिला। कहा जा रहा है कि साक्षी महाराज ने जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि, श्रीमहंत नारायण गिरि से विवाद खत्म कराने के लिए चर्चा की है। श्रीमहंत राजेंद्र दास कहते हैं कि मैंने स्पष्ट कर दिया है कि हम सबको साथ लेकर चलने को तैयार हैं, बशर्ते दूसरा पक्ष हमारे साथ आए। हम पद छोड़कर किसी के साथ नहीं जाएंगे। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविद्र पुरी (श्रीनिरंजनी अखाड़ा) ने भी सनातन धर्म और अखाड़ों के प्रति आस्था रखने वाले मंत्री एवं नेताओं की तरफ से आग्रह की बात स्वीकार की। उन्होंने कहा कि मैंने सभी से यही कहा कि समस्त 13 अखाड़ों के महात्माओं में आत्मीय रिश्ता है।
वृंदावन में रार खत्म होने की उम्मीद कम: वृंदावन स्थित निर्मोही अनी अखाड़ा के श्रीमहंत मदनमोहन दास के आश्रम में पांच नवंबर को बैठक होनी है। इसमें दोनों पक्ष के महात्मा आमंत्रित हैं, लेकिन कनखल में पदाधिकारी बने महात्मा उसमें शामिल होने को तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में फिलहाल समझौते के आसार कम हैं। निर्मोही व निर्मल अखाड़ा के महात्मा बंटे
प्रयागराज : निर्मोही अनी व निर्मल अखाड़ा के महात्मा बंट गए हैं, जो अलग-अलग पक्षों को समर्थन दे रहे हैं। प्रयागराज के दारागंज में हुई बैठक में जूना, अग्नि, आह्वान, निरंजनी, नया उदासीन, आनंद व निर्मल अखाड़ा के महात्मा मौजूद थे और निर्मोही अनी अखाड़ा के श्रीमहंत दामोदर दास ने समर्थन पत्र भेजा था। इस तरह श्रीनिरंजनी अखाड़ा के श्रीमहंत रविंद्र पुरी को आठ अखाड़ों का समर्थन मिला। हरिद्वार की बैठक में श्रीमहानिर्वाणी, अटल, निर्मल, बड़ा उदासीन, निर्माेही अनी, निर्वाणी अनी व दिगंबर अनी के महात्मा मौजूद रहे।