दिमाग को रखा 'पॉजिटिव' तो रिपोर्ट आयी 'निगेटिव'
अमरदीप भट्ट प्रयागराज कोरोना से ठीक होने के लिए दवा तो नहीं बनी।
अमरदीप भट्ट, प्रयागराज : कोरोना से ठीक होने के लिए दवा तो नहीं बनी, लेकिन कई संक्रमित लोग बीमारी के प्रति खुद पॉजिटिव रहकर इस जंग को जीत लिए है। एसआरएन कोविड अस्पताल में भर्ती रहने या होम आइसोलेशन के दौरान लोगों ने हिम्मत दिखाई और अब ठीक होकर अपने रोजमर्रा के काम में सक्रिय हो गए हैं। इस जंग को जीत चुके कई लोगों ने दैनिक जागरण से अपने अनुभव साझा किए हैं।
जॉर्जटाउन निवासी ऊषा सिंह की उम्र 75 साल है। उन्हें किडनी की बीमारी, परकिंसन और बीपी पहले से है। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई तो घबराहट को मन से दूर ही रखा। होम आइसोलेशन में रहते हुए योग और प्राणायाम करती रहीं। डॉक्टरों के बताए परामर्श को अपनाया। कभी यह नहीं सोचा कि कोरोना हो गया, अब क्या करेंगे ? यही आत्म विश्वास काम आया और कोरोना से जंग जीत ली।
झूंसी के रहने वाले 45 वर्षीय लक्ष्मीकांत यादव को रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर एसआरएन कोविड अस्पताल में आक्सीजन लगाकर भर्ती किया गया था। वे हाई रिस्क पर थे। कहते हैं कि उन्होंने अपने दिमाग को हर वक्त पॉजिटिव रखा। डर को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। एक समय ऐसा भी आया कि अपनी बेड से उठकर टहलते हुए दूसरे मरीजों की सेवा करने लगे। नर्स व डॉक्टरों के सदव्यवहार ने हौसला बढ़ाया। 15 अगस्त को डिस्चार्ज हो गए।
कटरा निवासी ज्योति गोस्वामी कहती हैं कि कोरोना के नाम से लोगों को यूं ही डराया जा रहा है। जब उनकी अपनी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो मन में अजीब सी सनसनाहट हुई। होम आइसोलेशन की प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से अनुमति ले ली। बराबर दवाइयां लीं। योग प्राणायाम भी करते रहे। इस बीच कोरोना का डर कभी दिमाग पर नहीं चढ़ने दिया। औरों से भी यह कहना चाहती हैं कि कोरोना हो भी जाए तो कभी संयम न खोएं।
सुलेम सराय निवासी 46 वर्षीय आशीष श्रीवास्तव ने भी कोरोना की जंग कुछ ऐसे ही जिंदादिली से जीती। बताया कि कोरोना हो भी जाए तो बेहतर काउंसिलिंग की जरूरत है। उन्होंने वही किया। पहले से डायबिटिक होने के बावजूद न डरे, न आत्म विश्वास को डगमगाने दिया। योग प्राणायाम करते रहे। अंतत: सातवें दिन उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई।