परिषदीय विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों की तैनाती को लेकर फंसा पेच
जिले के 80 परिषदीय विद्यालयों का विलय होना है। इन विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक की कक्षाओं का संचालन एक साथ होगा। प्रधानाध्यापकों की तैनाती को लेकर पेच फंसा है।
प्रयागराज : जिले में ऐसे 80 परिषदीय विद्यालयों (प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक) का विलय होना है, जो एक ही परिसर में संचालित हो रहे हैं। इस दिशा में बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से कवायद भी शुरू हो गई है लेकिन इन विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों की तैनाती को लेकर पेच फंसता नजर आ रहा है, क्योंकि इनकी वरिष्ठता संबंधी मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
खंड शिक्षा अधिकारियों ने उपलब्ध कराई जानकारी
दरअसल, शिक्षा निदेशक (बेसिक) ने पिछले वर्ष 28 नवंबर को आदेश जारी किए थे कि जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि खंड शिक्षा अधिकारियों की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक एक ही परिसर में संचालित परिषदीय विद्यालयों का विलय किया जाना है। इसी क्रम में जिले के 80 विद्यालयों का विलय होना है। इन विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक की कक्षाओं का संचालन एक साथ होगा। खास यह कि जिन विद्यालयों का विलय होना है, वह सभी धनूपुर, जसरा और नगर क्षेत्र के हैं।
बोले बीएसए
बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय कुमार कुशवाहा ने बताया कि प्रधानाध्यापकों की तैनाती में कोर्ट केस अड़चन नहीं बनेगा। किसी एक प्रकरण से फिलहाल पूरी प्रक्रिया बाधित नहीं होगी। बाद में कोर्ट का जो निर्णय होगा, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
इन शर्तों के मुताबिक होना है विलय
-विलय के बाद कक्षा एक से आठ तक संचालित ऐसे विद्यालयों में कार्यरत प्रभारी प्रधानाध्यापकों/प्रधानाध्यापकों में से वरिष्ठतम ही प्रधानाध्यापक के दायित्व का निर्वहन करेंगे। वित्तीय एवं प्रशासनिक नियंत्रण इन्हीं में निहित होगा।
-आरटीई मानकों के मुताबिक शिक्षकों की तैनाती की जाएगी। इस सत्र में 30 सितंबर-2018 की छात्र संख्या के अनुसार समायोजन की कार्रवाई की जाएगी।
-विलय के बाद विद्यालय में एक ही प्रधानाध्यापक का कार्यालय होगा, जिससे सभी कार्यों का संचालन होगा।
-पूर्व में गठित प्रबंध समितियों का पुनर्गठन कर एक विद्यालय प्रबंध समिति गठित की जाएगी। इसमें वरिष्ठतम प्रभारी प्रधानाध्यापक/प्रधानाध्यापक सदस्य सचिव होंगे।
प्रधानाध्यापकों की तैनाती में आएगी यह समस्या
जिन शर्तों के मुताबिक इन विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों की तैनाती होनी है। उसमें वरिष्ठता का निर्धारण प्रथम नियुक्ति अथवा प्रोन्नति की तिथि से होने को लेकर बड़ी समस्या है। वरिष्ठता का क्रम किसे माना जाए, इसको लेकर न्यायालय में मुकदमा विचाराधीन है।