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खाकचौक में वर्चस्व की जंगः माधव दास व संतोष दास गुट आमने-सामने

माघ मेला में खाकचौक के महंतों में वर्चस्व की जंग छिड़ी है। खेमे में बंटे महंत मेला प्रशासन पर अपनी-अपनी सुविधा के अनुरूप भूमि आवंटन का दबाव बना रहे हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 14 Dec 2017 07:22 PM (IST)Updated: Fri, 15 Dec 2017 05:41 PM (IST)
खाकचौक में वर्चस्व की जंगः माधव दास व संतोष दास गुट आमने-सामने
खाकचौक में वर्चस्व की जंगः माधव दास व संतोष दास गुट आमने-सामने

इलाहाबाद (जेएनएन)। माघ मेला अभी शुरू भी नहीं हुआ कि खाकचौक के महंतों में वर्चस्व की जंग छिड़ गई है। दो खेमे में बंटे खाकचौक के महंत मेला प्रशासन पर अपनी-अपनी सुविधा के अनुरूप भूमि आवंटित करने का दबाव बना रहे हैं।  इसके चलते मेला प्रशासन के सामने खाकचौक की जमीन व सुविधा नियमानुसार वितरित करना बड़ी चुनौती है। इससे 16 दिसंबर को होने वाला खाकचौक का भूमि आवंटन हंगामेदार होने के आसार हैं। 

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खाकचौक व्यवस्था समिति में महामंडलेश्वर माधव दास का कई सालों तक दबदबा रहा। वह अध्यक्ष होने के नाते खाकचौक में अपने अनुसार भूमि व सुविधाएं आवंटित कराते थे। दो साल पहले विरोध का स्वर उठने पर हाईकोर्ट के निर्देश पर 2017 के माघ मेला में खाकचौक व्यवस्था समिति का चुनाव नए सिरे से हुआ। इसमें कई सालों से अध्यक्ष रहे महामंडलेश्वर माधव दास को हार का सामना करना पड़ा। 

खाकचौक व्यवस्था समिति के नए प्रधानमंत्री महामंडलेश्वर संतोष दास अबकी अपने अनुरूप भूमि आवंटित कराना चाहते हैं। संतोष दास का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख में सबको भूमि आवंटित करने के बाद सुविधा बंटे। उन्होंने खाक चौक में 55 नए मुकामधारियों को भूमि व सुविधा देने की मांग की। खाक चौक में इसके पहले 215 मुकामधारी थे। वहीं महामंडलेश्वर माधव दास का कहना है कि बीते साल हुआ चुनाव फर्जी है। मेला क्षेत्र में पहले की तरह उनके अनुसार भूमि व सुविधा आवंटित होगी। महामंडलेश्वर कपिलदेव नागा का मत भी कुछ ऐसा ही है। वह कहते हैं कि मेला प्रशासन किसी समिति के दबाव में आकर कोई काम न करे। प्रशासन ने 2016 में हाईकोर्ट में हलफनामा दिया है, जिसमें यह कहा गया है कि वह मेला क्षेत्र में कोई भी काम किसी समिति के माध्यम से नहीं करते। वह नियम अभी भी लागू है। प्रशासन क्रमानुसार भूमि आवंटित करके सुविधा मुहैया कराए। अगर नियम की अनदेखी हुई तो हम शांत नहीं बैठेंगे। 


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