मानव मूल्यों की रक्षा को आगे आएं साहित्यकार : प्रो. खगेंद्र ठाकुर
एनसीजेडसीसी में मीरा स्मृति सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान साहित्य की चारों प्रमुख विधाओं के लिए साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।
प्रयागराज : साहित्य भंडार एवं मीरा फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में मीरा स्मृति सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित इस कार्यक्रम में रचनाशीलता के लिए हिंदी एवं गैर हिंदी भाषी साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।
प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए इलाहाबाद विवि के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध आलोचक प्रो. राजेंद्र कुमार ने कहा कि आलोचना तभी सफल होती है जब लेखक और पाठक का रिश्ता बना रहे। आलोचक वही होता है जो किसी रचना की सच्चाई सामने लाता है। रचना की कमी निकालने वाले बेहतर आलोचक नहीं हो सकते। मुख्य अतिथि पटना के डा. खगेंद्र ठाकुर ने कहाकि देश में राजनैतिक चेतना जगाने में साहित्य की अग्रणी भूमिका रही है। साहित्यकारों को मानव मूल्यों की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए। रीवा विवि के रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष डा. विजय अग्रवाल ने चयन संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
द्वितीय सत्र में हिंदी के क्षेत्र में कार्य करने वाले साहित्यकारों को मीरा फाउंडेशन की ओर से सम्मानित किया गया। इसमें पटना के कवि कथाकार, व्यंग्यकार आलोचक खगेंद्र ठाकुर, ङ्क्षहदी के सुप्रसिद्ध कथाकार डा. कुसुम खेमानी, स्त्री विमर्श की चर्चित लेखिका मैत्रीय पुष्पा, कथाकार अजीत पुष्कल और उत्तराखंड के संस्कृत विद्वान प्रो. मानसिंह शामिल रहे। सभी को अंगवस्त्रम, नारियल और प्रशस्तिपत्र प्रदान कर संस्थापक सतीश अग्रवाल ने सम्मानित किया।
इस सत्र के विशिष्ट अतिथि एनसीजेडसीसी के निदेशक इंद्रजीत ग्रोवर रहे। अध्यक्षता लखनऊ के सूर्य प्रकाश दीक्षित व संचालन डा. आनंद श्रीवास्तव ने किया। आरंभ में कृतिका अग्रवाल ने भरतनाट्यम प्रस्तुत किया। आभार डा. शांति चौधरी ने ज्ञापित किया। स्वागत एसके पांडेय ने किया। सुरेश चंद्र अग्रवाल, राधेश्याम अग्रवाल, डा. वर्षा अग्रवाल, डा. अशरफ अली बेग, फज्ले हसनैन, अशोक त्रिपाठी, एचसी पांडेय, विभूति मिश्र, मीनूरानी दुबे आदि मौजूद रहे।
25 हजार का नकद पुस्कार और प्रशस्ति पत्र :
इस वर्ष का मीरा स्मृति सम्मान नीरज खरे की कृति आलोचना के रंग को प्रदान किया गया। आलोचना के रंग के लिए साहित्यकार नीरज खरे को पुरस्कार स्वरूप 25 हजार नकद, अंगवस्त्रम एवं प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया। नीरज की इस कृति में साहित्य की चारों विधाओं उपन्यास, कविता, कहानी, आलोचना की उल्लेखनीय कृतियों का समालोचात्मक अध्ययन किया गया है।