अरे भाई...क्या यह लाल बहादुर शास्त्री मार्ग वही पुरानी Elgin Road है Prayagraj News
सिविल लाइंस स्थित पुरानी एल्गिन रोड का नाम भले ही बदलकर लाल बहादुर शास्त्री मार्ग हो गया हो पर लोगों की जुबां पर इसका पुराना नाम ही याद है। इसे बंगलों वाली रोड भी कहते हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। सिविल लाइंस में एल्गिन रोड (अब लाल बहादुर शास्त्री मार्ग) की दास्तां भी अजीब है। एल्गिन रोड से बदलकर इसका नाम लाल बहादुर शास्त्री मार्ग हुए करीब एक दशक गुजर चुके हैं लेकिन अधिकांश लोगों की जुबां पर अब भी इसका नाम एल्गिन रोड ही है। इतना ही नहीं, यहां स्थित कई पुराने घरों के नेम प्लेट पर अब भी पता एल्गिन रोड का ही लिखा है।
सिविल लाइंस की मुख्य सड़क के बगल से निकलती है बंगलों वाली सड़क
इतिहास के पन्नों में दर्ज तथ्य बताते हैं कि ब्रिटिश हुकूमत के दौरान सिविल एरिया के अंतर्गत आने वाली इस सड़क का नामकरण लॉर्ड एल्गिन के नाम पर हुआ था। वह सन् 1894 से 1899 के बीच भारत के वायसरॉय थे। सन 1863 से पहले उन्होंने स्वयं की लॉर्ड ब्रूस के नाम से पहचान बनाई। यह सड़क सिविल लाइंस की मुख्य सड़क महात्मा गांधी मार्ग के ठीक बगल से निकलती है। यह सड़क सिविल लाइंस में बंगलों वाली सड़क भी कही जाती है।
प्रयाग संगीत समिति के सामने से प्रधान डाकघर तक है पुरानी एल्गिन रोड
प्रयाग संगीत समिति के सामने कवयित्री और लेखक स्व. महादेवी वर्मा की प्रतिमा स्थल से प्रधान डाकघर तक एल्गिन रोड कही जाती थी। पहले इस पर रास्ते में कंकड़ अधिक होते थे। हालांकि प्रत्येक छोटे-छोटे चौराहे के बीच दो से तीन बंगले होते थे। क्योंकि तब जमीन और बंगले लीज पर होते थे। आजादी के बाद जब से यहां जमीन फ्री होल्ड होने लगीं तब से सड़क की सूरत भी कुछ बदलने लगी। बंगलों में आधुनिकीकरणहुआ। सड़कें पक्की बनीं। चौड़ीकरण भी हुआ। साल दर साल इस मार्ग पर बदलाव दिख रहे हैं।
इस सड़क पर ये हैं नामी-गिरामी स्थान
इस सड़क पर यूनियन चर्च, एएच व्हीलर व्यापारिक घराने का मुख्यालय, गल्र्स हाईस्कूल और हॉट स्टफ चौराहा है। इस मार्ग पर अब कई व्यापारिक प्रतिष्ठान, कोचिंग, अन्य संस्थान हो गए हैं। इसके अलावा समय-समय पर यहां आवासीय फ्लैट बने। कुंभ 2019 के दौरान इस मार्ग के सभी चौराहों का सुंदरीकरण हुआ।
एल्गिन रोड पूछने पर झट से बता देते हैं
सिविल लाइंस में लाल बहादुर शास्त्री मार्ग कहां है यह पूछने पर पुरनिए भी एक बारगी दिमाग पर जोर देने लगते हैं। वहीं जब उनसे एल्गिन रोड कहां है, पूछने पर रास्ता झट से बता देते हैं। ऐसा इसलिए भी होता है, क्योंकि नगर निगम के अभिलेखों सहित लोगों के घरों के बाहर पता लाल बहादुर शास्त्री मार्ग जरूर लिखा जा चुका है लेकिन जुबां पर अब भी एल्गिन रोड का नाम रटा हुआ है। यहां तक कि कहीं बाहर से आने वालों को रिक्शे वाले भी एल्गिन रोड ही पहुंचाते हैं, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग नहीं जानते।