प्रयागराज कुंभ 2019: मुहूर्त आप देखिए, हमारी तो हर-हर गंगे
कल्पवासी तो अभी नहीं आए हैं, लेकिन जो पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं, उन्हें किसी विशेष घड़ी और मुहूर्त का प्रतीक्षा नहीं।
प्रयागराज, [जितेन्द्र त्रिपाठी]। कुंभ 2019 का पहला शाही स्नान वैसे तो 15 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर होगा लेकिन कुंभ नगरी की दिव्यता-भव्यता की आभा में दूर दराज से आ रहे श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी अभी से लगानी शुरू कर दी है। कल्पवासी तो अभी नहीं आए हैं, लेकिन जो पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं, उन्हें किसी विशेष घड़ी और मुहूर्त का प्रतीक्षा नहीं। उनके लिए तो त्रिवेणी के पवित्र तट पर जब स्नान का अवसर मिल जाये, वही घड़ी विशेष और वही समय विशिष्ट मुहूर्त है।
दोपहर डेढ़ बजे ऐसे ही सैकड़ों श्रद्धालु संगम में स्नान कर पुण्य लाभ कमाकर लौटने की तैयारी में भी थे। घाट पर सुरक्षा के लिए लगाई गई प्लास्टिक की विशेष बेरिकेडिंग की आड़ में स्नान कर रहे हरियाणा के सात-आठ नौजवानों का जत्था डुबकियां लगाते हुए हंसी ठिठोली कर रहा था। उनके बैग और अन्य सामान बाहर पड़े थे। उन्होंने सामान की सुरक्षा के लिए अपने साथी को बाहर छोड़ा हुआ था। उनका साथी, सामान देखने के लिए स्नान कर रहे लोगों में से किसी के बाहर आने का बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा था ताकि वह भी साथियों के साथ स्नान कर सके। पूछने पर इन लोगों ने बताया कि वह लोग मकर संक्राति तक नहीं रुक पायेंगे। उससे पहले ही अपने शहर लौट जायेंगे। जल्दी इसलिए आये ताकि आराम से स्नान कर सकें।
निकट ही मध्य प्रदेश से दो प्रौढ़ महिलाएं भी स्नान कर रही थीं। आपस में सगी बहनें महिलाएं अपने बच्चों को भी साथ लाई थीं। उनके पति साथ नहीं आ सके। कुंभ विधिवत शुरू होने से पहले ही प्रयागराज की यात्रा करने के पीछे उनका कहना था कि हम लोगों ने अभी जितने अच्छे से स्नान किया, भीड़-भाड़ में संभव नहीं हो सकता था, इसीलिए हम लोग जल्दी आये हैं और जल्दी ही चले जायेंगे।
एक परिवार लखीमपुर खीरी से भी आया था। करीब एक दर्जन लोगों के जत्थे में तीन महिलाएं भी थीं। परिवार के लोगों ने कहा कि भीड़भाड़ के बीच आने पर मंदिरों के दर्शन ठीक ढंग से नहीं हो पाते। पिछली बार कुंभ में इनके साथ के लोग भीड़ के दबाव में संगम तट के बड़े हनुमान मंदिर के दर्शन तक नहीं कर पाये थे। स्नान करने के बाद यह परिवार किला स्थित पातालपुरी मंदिर के दर्शन करने निकल गया।
सेल्फी की ललक
डुबकी लगाते, हाथ जोड़ते, आचमन करते और चाहे अघ्र्य दे रहे हों संगम तट पर किये जाने वाले हर धार्मिक क्रियाकलाप स्नानार्थी अपने मोबाइल में कैद करने से नहीं चूक रहे थे। मम्मी-पापा जब डुबकी लगा रहे थे तो बच्चे और जब बच्चे हर-हर गंगे का जाप कर रहे थे तो उनके अभिभावक इन क्षणों को भी संजोते जा रहे थे। बहुतेरे परिवार अपने बच्चों को लेकर भी पहुंचे थे। यह देखना काफी सुखद रहा कि भावी पीढ़ी को कुंभ की महिमा से परचित कराने के लिए लोग उन्हें लेकर संगम तट पर पहुंच रहे हैं। यही काम कभी पुरानी पीढ़ी ने वर्तमान पीढ़ी के साथ किया होगा।